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    Home»Sports Persons»कौन है, जिसने एक छोटे से रूम में अपने सपने को पाला, मिट्टी में बहाया पसीना और बन गया India का Best पहलवान ?
    Sushil Kumar

    कौन है, जिसने एक छोटे से रूम में अपने सपने को पाला, मिट्टी में बहाया पसीना और बन गया India का Best पहलवान ?

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    By Ravi Kumar on May 26, 2016 Sports Persons, Trending Now

    एक सपना मैजिक से हकीकत नहीं बन सकता, इसमें पसीना, कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प लगता है। जी, हाँ Sushil Kumar (Wrestler) ने भी बचपन में एक सफल पहलवान बनने का सपना देखा था, पर वे मैजिक का कभी सहारा नहीं लिए, बल्कि खुद से और दूसरों से प्रेरणा लेकर उन्होंने एक दृढ़ संकल्प बनाया और अखाड़े में लगातार कई घंटों तक पसीना बहाया, यहाँ तक कि वे चिलचिलाती धूप में भी एक दिन की छुट्टी तक नहीं करते थे। यहीं कारण है कि लगातार दो ऑलिंपिक में मेडल जीतने वाले भारत के इकलौता खिलाड़ी है। आइये फ्रेंड, इस Hindi Biography द्वार इस वीर पहलवान की सफलता के पीछे की कहानी को जानते है….

    अनुक्रम

    • Sushil Kumar Hindi-Biography (Wiki)
      • Childhood & Parents
      • Wrestling Training
      • Competition
      • Quick Fact

    Sushil Kumar Hindi-Biography (Wiki)

    Sushil Kumar

    Childhood & Parents

    सुशील कुमार का जन्म वीरेंद्र सहवाग के नजफ़गढ़ शहर के नजदीक बपरोला गाँव के गरीब परिवार में हुआ था। उनके पिता, दीवान सिंह एक डीटीसी बस ड्राईवर थे, जबकि माँ कमला देवी एक हाऊसवाइफ़ थी।

    बचपन में अपने चचेरे भाई को पहलावनी करते देख, सुशील भी पहलवानी सीखने को लालायित हुए। उनकी इच्छा को जान चचेरे भाई ने भी उनका साथ दिया। वे अब अपने चचेरे भाई के साथ पहलवानी सीखने लगे।

    Wrestling Training

    चूंकि Sushil Kumar के पिता भी एक पहलवान थे, उन्होंने पहलवानी के लिए अपने बेटे की कड़ी लगन देख, उन्होंने सुशील को 14 साल की उम्र में छत्रसल स्टेडियम में स्थित आखाड़े में पहलवानी के दांव-पेच सीखने के लिए भर्ती कर दिया, जहां उनके प्रारम्भिक गुरु यशवीर और रामफल ने उन्हें पहलवानी के प्रारम्भिक गुर सिखाये। वहाँ सुशील को एक छोटे से कमरें में सिमट कर 20 अन्य नव-सीख़िया पहलवान के साथ रहना पड़ता था। इसके अलावा वो कमरा चूहों और कॉकरोच से तंग था।

    एक मामूली सा ड्राईवर होते हुए भी उनके पिता उनकी Diet का पूरा ध्यान रखते थे। वे हमेशा उनके पास समय पर दूध और फल-सब्जियाँ पहुँचाते थे।

    प्रारम्भिक गुर सीखने के बाद सुशील अर्जुन अवार्ड से सम्मानित पहलवान गुरु सतपाल से पहलवानी सीखने लगे। इस दौरान उन्होंने भारतीय रेल्वे कैंप में भी ज्ञान सिंह और राजकुमार बैसला गुर्जर से पहलवानी के महत्वपूर्ण रणनीतियों को सीखा।

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    Competition

    इस बीच वे गुरु की प्रेरणा से विभिन्न राष्ट्रीय और राजकीय पहलवानी प्रतियोगिताओं में भाग लिया करते थे। जिसमें वे सफल भी होते थे। पर उन्हें असली पहली सफलता 1998 में एशियन जूनियर कैडेट कंपीटीशन में मिला, जहां उन्होंने गोल्ड मेडल जीता।

    पर 2004 में एथेंस ऑलिंपिक गेम्स में अपना पिछला प्रदर्शन दोहरा नहीं पाये, उन्हें 60 किलोग्राम के केटेगरी में 14वें स्थान से संतुष्ट करना पड़ा।

    पर 2005, 2007, 2008 और 2012 उनके लिए शानदार मौके लेकर आया। 2005 में उन्होंने कॉमनवेल्थ गेम में गोल्ड जीता और इसी इतिहास को दोहराते हुए 2007 के कॉमनवेल्थ में भी गोल्ड जीतने में कामयाब रहे। कॉमन वेल्थ जैसे बड़े कंपीटीशन में लगातार दो गोल्ड की जीत ने उन्हें नए हौसलों और उत्साह से भर दिया। वे अब अच्छी तरह से जान चुके थे, इस तरह के बड़े कंपीटीशन में जीत कैसे हासिल की जाती है।

    इन्हीं बातों का उनपर पूरा असर रहा, जिसकारण वे 2008 में बीजिंग ऑलिंपिक में पीला तमगा (ब्रोंज मेडल) जीतने में कामयाब रहे और वही ठीक चार साल 2012 के लंदन ऑलिम्पिक में अपनी जीतने की आदत को दोहराते हुए चाँदी का तमगा जीतकर, उन्होंने वो इतिहास (आजाद भारत में पहली बार किसी खिलाड़ी ने दो ऑलिम्पिक्स में मेडल जीतने में कामयाब रहे।) रच दिया, जिसका वे एक मात्र मालिक है।

    खेलों में गज़ब की काबिलियत के लिए 2006 में सुशील के पुराने परफ़ोर्मेंस को अर्जुन अवार्ड और उनके तरोताजा और पूर्ण दम-खम वाले प्रदर्शन के लिए 2011 में पद्म श्री अवार्ड से नवाजा गया।

    2014 में सुशील ने लगातार तीसरी बार कॉमन वेल्थ गेम में अपने फ़ाइनल मैच को जीतते हुए गोल्ड मेडल की तिकड़ी बना डाली।

    फिलहाल Sushil Kumar Rio Olympic 2016, ब्राज़ील के क्वालिफ़िकेशन के लिए प्रयासरत है।

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    Quick Fact

    Date of  Birth – May 26, 1983

    Age – 33 Years (2016)

    Birth Place – Najafgarh, Delhi

    Height – 5’4”

    Weight – 74 Kg

    Sport – Wrestling

    Wife – NA

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    1983 26 May
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