बहुत से कहानियाँ होती है, जो हमें अंत में खुश कर देती है। पर कुछ कहानी ऐसी होती है, जिसका अंत हमें दुख के सिवाय कुछ नहीं देती है। शायद उनका अंत पहले से ही प्रीप्लान होता है। ऐसी ही एक कहानी है, Sarabjit Singh की, वे भारत के छोटे से एक किसान थे, एक दिन गलती से भारत–पाक बॉर्डर क्रॉस कर गए। उसके बाद वे मौत के भंवर में ऐसे फंसे कि कई सैकड़ों-हजारों प्रयास करने के बावजूद, वे चुलु भर पानी में तड़पते मछली के समान तड़पते ही रह गए। अंत में जब सूरज का ताप बढ़ा तो वो चुलु भर पानी भी सुख गया और तड़पने वाली मछली भी मौत के काल में समा गई। ऐसे ही सरबजीत भी मौत के काल में समा गए। अब आप इस Hindi Biography द्वार सरबजीत सिंह की आँखों को नम करने वाली Story को जानेंगे….
अनुक्रम
Sarabjit Singh Hindi Biography (Wiki)
Sarabjit Singh का जन्म पंजाब के भिखिविंद गाँव में हुआ था, जो भारत-पाकिस्तान के बार्डर के बेहद नजदीक स्थित है। वे पेशे से एक किसान थे। इसके अलावा वे पहलवानी का भी शोक रखते थे।
उनके दोस्तों और करिबियों के अनुसार खुशमिजाज के सरबजीत 28 अगस्त 1990 की रात को शराब के नशे में बिना घेरा बंदी वाली अंतरराष्ट्रीय सीमा को अनजाने में पार कर गए और दूसरी तरफ पाकिस्तान के बोर्डर में गस्ती दे रहे पाकिस्तानी रैंजंर ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया।
इसके बाद उनपर भारतीय जासूस होने का आरोप लगाकर पाकिस्तानी जेल में डाल दिया गया। पर पाकिस्तानी पुलिस यहीं तक नहीं रुकी, उन्होंने 30 अगस्त 1990 को पाकिस्तान के लाहौर और फ़ैसलाबाद में हुए दोनों बम ब्लास्ट का आरोप सरबजीत पर मढ़ दिया। बाद में पाकिस्तानी पुलिस द्वारा उनका नाम भी बदल दिया गया। जो मंजीत सिंह था। इसी नाम से पाक-पुलिस ने हाई कोर्ट में केस फाइल की।
इधर भारत में सरबजीत के परिवार वाले और गाँव वाले उनके गुमसुदगी से बहुत परेशान थे। वे सभी मिलकर लगातार नौ महीनों तक सरबजीत को खोजते रहे। पर उन्हें मिलता क्या ? उनकी खोज तो भारत तक ही सीमित थी, उन्हें बिलकुल भी अंदाजा नहीं था कि सरबजीत तो पाकिस्तानी जेल में बंद है।
इसी दौरान एक साल बाद पाकिस्तानी लाहौर के जेल से सरबजीत के परिवारवालों को एक पत्र मिला, जिसे सरबजीत ने ही भेजा था। तब जाकर पत्ता चला कि सरबजीत तो पाक-जेल में बंद है।
पत्र में सरबजीत ने बताया कि उनके पास कोई भी आइडैनटिटि प्रूफ नहीं, इसलिए पाक-पुलिस ने इसका फायदा उठाकर उन्हें मंजीत सिंह बताकर पाकिस्तान में हुए दो बम ब्लास्टों का दोषी करार दिया है और हाई कोर्ट द्वारा मौत की सजा सुनाई गई है।
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एक सूत्र के अनुसार सरबजीत को गैरकानूनी रूप से भारत-पाक बॉर्डर पार करते ही गिरफ्तार कर लिया गया था। 30 अगस्त को पाकिस्तान में हुए दो बम ब्लास्टों के छह दिनों बाद उन्हें नया नाम देकर इन ब्लास्टों के लिए दोषी बताकर हाई कोर्ट में चार्ज शीट दाखिल की गई थी।
जबकि पाक-अधिकारी के अनुसार मंजीत सिंह 30 अगस्त 1990 को चार बम ब्लास्ट कर भारत-पाक बॉर्डर के रास्ते वो भारत लौट रहा था, जहां वो पकड़ा गया।
1991 में पाक-आर्मी एक्ट के तहत हाइ कोर्ट द्वारा सरबजीत सिंह को मौत की सजा सुनाई गई, जिसे पाक-सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी रखा गया।
मार्च 2006 में सरबजीत ने अपनी मौत की सजा की पुन:सुनवाई के लिए कोर्ट से अपील की, कोर्ट ने केवल उनकी अपील को यह कहकर खारिज कर दिया कि आपका वकील का आपके केस में कोई इंटरेस्ट नहीं है।
इसके बाद पाकिस्तानी वकील अवैस शेख ने उनके केस की फ्री वकालत की। मिस्टर शेख पाक-भारत शांति पहल संगठन के अध्यक्ष है, जो एक गैर सरकारी संगठन है।
इस दौरान सरबजीत की बहन दलबीर कौर ने अपने भाई को रिहा करने के लिए संघर्षरत रही। दलबीर को मात्र दो ही बार पाक-जेल में बंद सरबजीत से मिलने दिया गया।
दलबीर अपने भाई से मिलन को बीबीसी के साथ कुछ इस तरह शेयर करती है, कि जो किसी की भी आँखों को नम कर दें।
रोती हुई हुई दलबीर कहती है,
मैं उनसे उस जेल के एक छोटे से सेल में मिली। हम दोनों की यह मीटिंग 90 मिनटों तक चली। बहुत ही अच्छा मिलन था।
वे आगे कहती हैं,
सरबजीत अपनी पत्नी, दोनों बेटियों, पड़ोसी और करिबियों के बारे में पुछ रहे थे।इसके बाद मैंने उनके कलाई पर राखी बांधी, वह रोने लगे और उन्होंने मुझे रिटर्न गिफ्ट के रूप में एक कडा (बैंगल) दी, जिसे उन्होंने जेल में बनाए थे।पर चेहरे के भाव से लग रहा था कि वे हमेशा टेंसन में रहते है, जो मुझे बहुत दुखी कर गया। मैंने कहा, हम जल्द ही आपको जेल से छुड़ा लेंगे।
इन कुछ सालों में दलबीर द्वारा भाई की रिहाई के लिए कई असफल प्रयास की गई। वो नवाज शरीफ और उस समय के पाक राष्ट्रपति परवेज़ मुशरफ से भी अपील की। पर कहीं से भी उन्हें ना ही आशा मिला ना ही विश्वाश।
पाकिस्तानी स्टूडेंट ग्रुप और कई एक्टिविस्ट द्वारा सरबजीत पर चल रहे है, झूठे मुकदमें के खिलाफ प्रोटेस्ट कर पाक-शासकों को जगाने की कोशिश की गई।
इसी प्रयास में 2009 में ब्रिटिश वकील जस उप्पल ने Freesarabjitsingh.com लॉन्च कर एक ऑनलाइन कैम्पेन की शुरुआत की। जिसके द्वारा वे सरबजीत सिंह के केस के संबंध में लोगों को जागरूक करते है।
जेल में हमला
बरहाल, Sarabjit Singh को आजाद करने की सैकड़ों-हजारों प्रयासों के बावजूद 26 अप्रैल 2013 को शाम साढ़े चार बजे जेल के कुछ कैदियों द्वारा उनपर जानेवाला हमला किया गया। इस हमले में रोड, ब्लेड आदि तेज धार हथियार का प्रयोग किया गया था।
Death Reason
कहा जाता है कि जब वे इस हमले बुरी तरह से घायल हो गए थे, तब उन्हें दो घंटे तक जेल प्रशासन द्वारा मरणासन्न की स्थिति में छोड़ दिया गया। जिस दौरान उनके शरीर से काफी खून बह चुका था।
इन दो घंटों के बाद उन्हें लाहौर के जिन्नाह हॉस्पिटल में भर्ती किया गया। जहां डॉक्टरों बताया कि उनके शरीर के कई हिस्सो में गंभीर चोटे आई है, खोपड़ी का दो टुकड़ा हो चुका है, रीड की हड्डी टूट चुकी है और अधिक ब्लीडिंग होने के कारण 2 मई 2013 को उनकी मौत हो गई।
पर इस घटना पर किसी भी पाक-अफसर ने कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया। जबकि उनकी बहन दलवीर का कहना था कि यह घटना प्रीप्लानड था।
सरबजीत के शव का पहला पोस्टमार्टम पाक में किया गया, पर अभी तक कोई रिपोर्ट नहीं आ सका।
जब स्पेशल प्लेन से उनके शव को लाहौर से दिल्ली लाया गया और शव का दूसरा पोस्टमार्टम किया गया तो सबको बड़ी हैरानी हुई, क्योंकि सरबजीत के शव से हृदय, किडनी और भी कई अंग गायब थे।
आखिरकर पाक-पोस्टमार्टम करने वालों ऐसा क्यों किया ? यह सभी जानते है।
बरहाल Sarabjit Singh की मौत पर पंजाब और भारत सरकार ने तीन दिन का शौक दिवस घोषित किया और मुआवजे के रूप में 10 लाख रुपये की भी घोषणा की।
Movie On Sarabjit
Sarabjit Singh की पाक-कहानी पर बॉलीवुड डाइरेक्टर ओमंग कुमार द्वारा सरबजीत नाम की फिल्म बनाई गई, जिसमें सरबजीत के रूप में रणदीप हुडा और दलबीर कौर के रूप में ऐश्वर्या राय बच्चन भूमिका निभा रही है। जिसे 20 मई 2016 को रिलीज किया गया।
Personal Life (Wife, Daughters & Family)
Sarabjit Singh का विवाह सुखप्रीत कौर से हुआ था। सरबजीत की दो बेटियां भी है।
Quick Fact
Date of Birth – 1963
Birth Place – Bhikhiwind
Wife – Sukhpreet Kaur
Sister – Dalbir Kaur
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