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    Home»Others»Best Vibhakti in Sanskrit Tables-Karak in Sanskrit 2023 PDF
    Sanskrit Vibhakti

    Best Vibhakti in Sanskrit Tables-Karak in Sanskrit 2023 PDF

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    By Ravi Kumar on Jan 8, 2023 Others

    हिन्दी से संस्कृत सीखने के दौरान विभक्ति की बहुत जरूरत पड़ती है, क्योंकि कर्ता का क्रिया और कर्म से जो संबंध होता है, वो कई रूपों में होते है, जिसके सही अर्थ को व्यक्त करने के लिए विभक्ति की जरूरत पड़ती है। इसलिए हम पेश कर रहे है-

    अनुक्रम

    • संस्कृत विभक्ति
      • स्वयं संस्कृत सीखें मात्र 30 दिन में
      • 1.कर्ता कारक(प्रथमा विभक्ति)
      • 2.कर्म कारक(द्वितीया विभक्ति)
      • 3.करण कारक(तृतीया विभक्ति)
      • 4.संप्रदान कारक(चतुर्थी विभक्ति)
      • 5.अपादान कारक(पंचमी विभक्ति)
      • 6.संबंध कारक(षष्टि विभक्ति)
      • 7.अधिकरण कारक(सप्तमी विभक्ति)
      • 8.सम्बोधन कारक(अष्टमी विभक्ति)

    संस्कृत विभक्तिSanskrit Vibhakti

    क्रिया के साथ जिसका सीधा संबंध हो, उसे कारक कहते है।

    जैसे राम: पुस्तकं पठति (राम पुस्तक पढ़ता है)

    यहाँ पढ़ता है का सीधा संबंध राम और पुस्तक से है, इसलिए राम कर्ताकारक और पुस्तक कर्म कारक हुआ।

    ये कारक आठ प्रकार के होते है, जो संस्कृत में वचन और अर्थ के अनुसार विभिन्न रूपों में प्रयुक्त होते है, जिसे विभक्ति कहते है।

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    स्वयं संस्कृत सीखें मात्र 30 दिन में

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    कारक विभक्ति
    कर्ता कारक प्रथमा विभक्ति
    कर्म कारक द्वितीया विभक्ति
    करण कारक तृतीया विभक्ति
    संप्रदान कारक चतुर्थी विभक्ति
    अपादान कारक पंचमी विभक्ति
    संबंध कारक षष्टि विभक्ति
    अधिकरण कारक सप्तमी विभक्ति
    सम्बोधन कारक अष्टमी विभक्ति
    कर्ता ने बालक ने खाया है बालक: खादति
    कर्म को बालक ने रोटी खाया है बालक: रोटिकां खादति
    करण से, द्वारा बालक कलम से लिखता है बालक: कलमेन लिखति
    संप्रदान को, के लिए राम बालक को पुस्तक देता है राम: बालकाय् पुस्तकं ददाति
    अपादान से (अलग होने के लिए) घर से बालक जाता है गृहात् बालक: गच्छति
    सन्बन्ध का, के, की बालक की माता जाती है बालकस्य मातृ गच्छति
    अधिकरण में, पर बालक पर पुस्तक है बालके पुस्तकं अस्ति
    सम्बोधन हे, अरे अरे बालक हे बालक:

    1.कर्ता कारक(प्रथमा विभक्ति)

    जिसका संबंध क्रिया को करने से है या जो क्रिया करता है, उसे कर्ता कारक कहते है।

    प्राय: कर्ता कारक के बाद ‘ने’ पाया जाता है।

    जैसे – अहम पठामि (मैं पढ़ता हूँ)यहाँ मैं कार्य कर रहा है। वह कर्ता कारक है।

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    2.कर्म कारक(द्वितीया विभक्ति)

    वाक्य में जिसपर कर्म का प्रभाव पड़े, उसे कर्म कारक कहते है।वाक्य में कर्म पहचानने का सबसे अच्छा तरीका है कि उनके पीछे “को” शब्द होता है।

    जैसे –

    बाल: चन्द्रं पश्यति (बच्चा चंद्रमा को देखता है) इस वाक्य में कर्ता बच्चा द्वारा चंद्रमा को देखा जाता है, जो कर्म कारक हुआ।

    3.करण कारक(तृतीया विभक्ति)

    जो क्रिया को करने में सहायता प्रदान करता हो, उसे करणकारक कहते है।करण कारक वाक्य में साधन की ओर इंगित करता है, जो वास्तव में कार्य करने को सरल बना देता है।

    इन साधन के पीछे प्राय: ‘से’ होता है। इनसे आप उन्हें पहचान सकते है।

    जैसे-

    राधा कलमेन लिखति (राधा कलम से लिखती है)

    कलम – करण कारक

    4.संप्रदान कारक(चतुर्थी विभक्ति)

    कर्ता जिसके लिए कार्य करता है, उसे संप्रदान कारक कहते है।

    इस कारक के पीछे ”को’ या “के लिए ” शब्द होते है।

    जैसे –

    छात्राय पुस्तकं ददाति (छात्र को पुस्तक दिया जाता है)

    छात्र को – संप्रदान कारक

    बालकाय मोदकं रोचते (बालक को लड्डू रोचक लगता है)

    5.अपादान कारक(पंचमी विभक्ति)

    वाक्य में अलग होने का अर्थ बोध हो, उसे अपादान कारक कहते है। वाक्य में आप “से” शब्द से इनका पता लगा सकते है, जो इस कारक के बाद मिलेगा।

    जैसे –

    वृक्षात् पत्राणि पतन्ति (पेड़ से पत्ते गिरते हैं)

    पत्ते- अपादान कारक

    6.संबंध कारक(षष्टि विभक्ति)

    जो कर्ता से संबन्धित हो या कर्ता के संबंध को दर्शाता हो, उसे संबंध कारक कहते है।

    इस कारक को आप “का, के, की” से जान सकते है।जैसे – विद्यालस्य छात्र: (स्कूल का छात्र)

    7.अधिकरण कारक(सप्तमी विभक्ति)

    क्रिया के आधार को अधिकरण कारक कहते है।

    जैसे-

    वृक्षे काक: अस्ति (पेड़ पर कौआ है) इन्हें आप “में, पे, पर ” से पहचान सकते है।

    8.सम्बोधन कारक(अष्टमी विभक्ति)

    वह शब्द, जिससे से किसी को संबोधित या पुकारा जाता है।

    जैसे – हे बालक!

    इसमें ! विस्मयादी चिह्न का प्रयोग होता है।

    बालक शब्द की विभक्तियाँ

    विभक्ति एकवचन द्विवचन बहुवचन
    प्रथमा बालक: बालकौ बालका:
    द्वितीया बालकं बालकौ बालकान्
    तृतीया बालकेन बालकेभ्याम् बालकै:
    चतुर्थी बालकाय बालकेभ्याम् बालकेभ्य:
    पञ्चमी बालकात् बालकेभ्याम् बालकेभ्य:
    षष्टि बालकस्य बालकयो: बालकानां
    सप्तमि बालके बालकयो: बालकेषु
    सम्बोधन हे बालक! है बालकौ! हे बालका!

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