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    Home»Others»Best 10 Lakar in Sanskrit [सभी सरल संस्कृत लकार टेबल]
    lakar in sanskrit

    Best 10 Lakar in Sanskrit [सभी सरल संस्कृत लकार टेबल]

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    By Ravi Kumar on Jan 8, 2023 Others

    संस्कृत में लकार हिन्दी में काल और इंग्लिश में Tense के समान है, जो विभिन्न कालों में हुए कार्यों को व्यक्त करने में काम आता है।

    ये लकार क्रिया (धातु) के रूप को समय, वचन और पुरुष के अनुसार परिवर्तित करता है। इस वजह से संस्कृत समझने वालों के लिए इसका अध्ययन करना बेहद जरूरी है, जिसे हम इस पोस्ट में आसान शब्दों में पेश कर रहे है-

    अनुक्रम

    • Lakar in Sanskrit
      • स्वयं संस्कृत सीखें मात्र 30 दिन में
      • संस्कृत के 10 लकार
      • 1.लट् लकार
      • 2.लोट् लकार (आज्ञा)
      • 3.लङ्‌ लकार (अनद्यतन भूतकाल)
      • 4.लिट् लकार (परोक्ष् भूतकाल)
      • 5.लुङ् लकार(सामान्य भूतकाल काल)
      • 6.ऌङ् लकार (हेतुहेतुमद भूतकाल)
      • 7.विधिलिङ्‌ लकार (चाहिए)
      • 8.ऌट् लकार (सामान्य भविष्यकाल)
      • 9.लुट् लकार (अनद्यतन भविष्यकाल)
      • 10.आशीर्लिङ् लकार (आशीर्वाद देना)

    Lakar in Sanskritlakar in sanskrit

    क्रिया को स्थितीनुसार सार्थक अर्थ देने वाला संस्कृत लकार 10 प्रकार के होते होते है। इन्हें समय के अनुसार विभक्त किया गया है।
    खैर मुख्य रूप से केवल पाँच लकार का सबसे ज्यादा उपयोग होता है, जो है-

    1.लट् लकार (वर्तमान काल)
    2.लोट् लकार (आज्ञा)
    3.लङ्‌ लकार (अनद्यतन भूतकाल)
    4.विधिलिङ्‌ लकार (चाहिए)
    5.ऌट् लकार (सामान्य भविष्यकाल)

    • Hindi To Sanskrit Translation-5 Easy Rule में संस्कृत अनुवाद

    स्वयं संस्कृत सीखें मात्र 30 दिन में

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    संस्कृत के 10 लकार

    आइये अब इन दस लकार को परिभाषा के साथ समझते है-

    1.लट् लकार

    जब क्रिया वर्तमान काल में घटित हो तो तब इस लकार का प्रयुक्त होता है।
    जैसे अहं पठामि (मैं पढ़ता हूँ)

    जैसा कि मैंने पहले ही कहा कि लकार पुरुष, वचन के अनुसार बदलते है, उसी अनुसार धातु के रूप को बदल सकते है-

    पुरुष एकवचन द्विवचन बहुवचन
    प्रथम ति त: अन्ति
    मध्यम सि थ: थ
    उत्तम आमि आव: आम:

    2.लोट् लकार (आज्ञा)

    जब क्रिया में आज्ञा या आदेश हो तो तब लोट् लकार आता है।
    जैसे – त्वं पठ (तुम पढ़ों)

    पुरुष एकवचन द्विवचन बहुवचन
    प्रथम तु ताम् अन्तु
    मध्यम अ तम् त
    उत्तम आनि आव आम
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    3.लङ्‌ लकार (अनद्यतन भूतकाल)

    जब कोई कार्य कल या परसो हुआ हो तो तब उसके अर्थ को व्यक्त करने के लिए इस लकार की जरूरत पड़ती है।
    जैसे – सः ह्यः अभवत् (वह कल हुआ था)

    पुरुष एकवचन द्विवचन बहुवचन
    प्रथम त् ताम् अन्
    मध्यम अ: तम् त
    उत्तम अम् आव आम
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    4.लिट् लकार (परोक्ष् भूतकाल)

    जब कोई कार्य आंखो के सामने ना घटित हो, जैसे कोई ऐतिहासिक घटना। इसे संस्कृत में अनुवाद
    करने के लिए इस लकार को उपयोग किया जाता है।
    जैसे – राम: रावणं ममार (राम ने रावण को मारा)
    इसके अलावा इसका प्रयोग उत्तम पुरुष के लिए स्वपन और उन्मत्त की स्थिति में होता है। जैसे – सुप्तोऽहं किल विलाप (मैंने सोते में विलाप किया)

    पुरुष एकवचन द्विवचन बहुवचन
    प्रथम अ अतुस् उस्
    मध्यम थ अथुस् अ
    उत्तम अ व म

    5.लुङ् लकार(सामान्य भूतकाल काल)

    जब क्रिया वर्तमान काल के ठीक बाद बिता हो, उसके अर्थ को इस लकार से व्यक्त किया जाता है-
    जैसे –
    अहं पुस्तकं अपाठिषं (मैंने पुस्तक पढ़ी)

    पुरुष एकवचन द्विवचन बहुवचन
    प्रथम द् ताम् अन्
    मध्यम स् तम् त
    उत्तम अम् व म
    • Best 10 Sanskrit Dhatu Roop List PDF- संस्कृत धातुरूप

    6.ऌङ् लकार (हेतुहेतुमद भूतकाल)

    जब एक क्रिया का फल दुसर क्रिया पर निर्भर हो तब इस अर्थ के लिए इस लकार की जरूरत पड़ती है।
    इस तरह के वाक्य में एक शर्त और प्राय: दो क्रिया पायी जाती है।

    जैसे-

    अहं अपठिष्यं तहिं विद्वान अभविषयं (यदि मैं पढ़ता तो विद्वान हो जाता)

    पुरुष एकवचन द्विवचन बहुवचन
    प्रथम स्यत् स्यताम् स्यन्
    मध्यम स्यस् स्यतम् स्यत्
    उत्तम स्यम स्याव स्याम
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    7.विधिलिङ्‌ लकार (चाहिए)

    जहां चाहिए शब्द आये वहाँ यह लकार आएगा।
    जैसे – अहं पठेयम् (मुझे पढ़ना चाहिए)

    पुरुष एकवचन द्विवचन बहुवचन
    प्रथम एत एताम् एयु:
    मध्यम ए: एतम् एत
    उत्तम एयम् एव एम

    8.ऌट् लकार (सामान्य भविष्यकाल)

    जब क्रिया ठीक होने वाली हो या जिसमे कल, परसों जैसे विशेषण ना हो। तब इस लकार की जरूरत पड़ती है।
    जैसे-
    राम: पठिस्यति (राम पढ़ेगा)

    पुरुष एकवचन द्विवचन बहुवचन
    प्रथम स्यति स्यत: स्यन्ति
    मध्यम स्यसि स्यथ: स्यथ
    उत्तम स्यामि स्याव: स्याम:

    9.लुट् लकार (अनद्यतन भविष्यकाल)

    जब वाक्य में क्रिया आज घटित ना होकर, कल-परसो हो, उसे अनद्यतन भविष्य काल कहते है।

    -बीती हुई रात के 12 बजे से आने वाली रात के 12 बजे तक के काल को अद्यतन काल कहते है और आने वाली रात्रि के बारह बजे के बाद के समय को अनद्यतन काल कहा जाता है।

    यानि आज रात के 12 बजे के बाद जो क्रिया होने वाला है, उसके लिए ये लकार उपयोग कर सकते है-

    जैसे –
    ते श्वः विद्यालये भवितारः (वे कल विद्यालय में होंगे)

    पुरुष एकवचन द्विवचन बहुवचन
    प्रथम ता तारौ तारस्
    मध्यम तासि तास्थस् तास्थ
    उत्तम तास्मि तास्वस् तास्मस्

    10.आशीर्लिङ् लकार (आशीर्वाद देना)

    इसका प्रयोग आशीर्वाद के अर्थ में होता है।
    जैसे – राम: विजियात् (राम विजयी हो)

    पुरुष एकवचन द्विवचन बहुवचन
    प्रथम यात् यास्ताम् यासुस
    मध्यम यास् यास्तम् यास्त
    उत्तम यासम् यास्व यास्म

    Tip – काफी लकार हो चुके है, किसको किस वक्त उपयोग करना है। यह बड़ा confusing हो सकता है। इसलिए हम पेश कर रहे है, यह शानदार श्लोक, जो आपको मदद करने वाला है-

    लट् वर्तमाने लेट् वेदे भूते लुङ् लङ् लिटस्तथा।
    विध्याशिषोलिङ् लोटौ च लुट् लृट् लृङ् च भविष्यति॥

    लट् लकार वर्तमान काल में, लेट् लकार केवल वेद में, भूतकाल में लुङ् लङ् और लिट्, विधि और आशीर्वाद में लिङ् और लोट् लकार तथा भविष्यत् काल में लुट्, लृट् और लृङ् लकारों का उपयोग होता है।

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