एक ऐसी महिला, जो बिलकुल अनपढ़ थी। पढ़ी-लिखी। जीवन जीने का सलीका सीखी। और अपने पति के साथ घूम-घूम कर लोगों के सेवा में तल्लीन हो गई। वाकई में जीवन जीना इसे ही कहते है। अपने जीवन की कमियों को पूरा करते हुए दूसरों के जीवन को पूर्ण करने में सहयोग देना। ऐसी ही थी Mohandas Karmachand Gandhi ‘s Wife Kasturba Gandhi । फ्रेंड अब इस Hindi Biography द्वारा Kasturba Gandhi की Life की झलकियों को करीब से जानेंगे।
अनुक्रम
Kasturba Gandhi Hindi Biography (Wiki)
Kasturba Gandhi का Early Life & Family
कस्तूरबा गांधी का जन्म पोरबंदर, गुजरात में हुआ था। उनकी बचपन का नाम Kastur Kapadia था। वह बचपन से ही बड़ी सीधी-सदी और धार्मिक थी। उनकी पिता Gokuldas Banerjee पोरबंदर में Business किया करते थे और उनकी माँ व्रजकुनवेरबा कपाड़िया एक House wife थी। पुरानी विचारधारा के कारण उनकी शिक्षा-दीक्षा नहीं हो सकी और मात्र 14 साल की छोटी उम्र में 13 साल के मोहनदास करमचंद गांधी जी से विवाह करा दिया गया।
सीधी-सादी कस्तूरबा ससुराल से ज्यादा मायके में रहती थी।
जिस बारे में गांधीजी कहते है
मैं कस्तूरबा से बहुत प्यार करता था। स्कूल के दिनों में उसकी यादें मुझे बहुत सताया करती थी। शादी के 5 वर्षों बाद कहीं जाकर एक साथ लंबे समय तक रहे।
इस लंबे समय में गांधीजी ने उन्हें पढ़ाया-लिखाया और अनुशासन सिखाया।
जब गांधीजी वकालत की पढ़ाई के लिए London जा रहे थे। तब उन्हें भारत में ही रहकर अपने नवजात बच्चे का पालन-पोषण करना पड़ा।
(Quick Fact) Kasturba Gandhi Date of Birth (DoB) – April 11, 1869
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South Africa मेँ संघर्ष
1897 में वो गांधीजी के साथ South Africa गई। जहां उन्होंने गांधीजी की पूर्ण साथ देते हुए भारतीयों पर हो रहे जुल्मों के खिलाफ आवाज उठाई और 3 महीने की कठोर सजा भी पाई। पर वो हार नहीं मानी और विजयश्री हुई।
India मेँ सेवा
भारत में नील-किसानों पर बढ़ रहे अत्याचार को देखते हुए गांधीजी ने कस्तूरबा के साथ 1915 में भारत लौटने का निश्चय किया।
कस्तूरबा गांधी महात्मा गांधी के साथ पश्चिम चंपारण आकर लोगों को पढ़ना, लिखना सिखाई। उन्हें से स्वास्थ्य से रिलेटिड़ बातों से भी जागरूक करती थी।
(Quick Fact) Kasturba Gandhi’s Sons -Harilal Gandhi, Manilal Gandhi, Devdas Gandhi, Ramdas Gandhi
Death of Kasturba Gandhi
इस तरह कस्तूरबा गांधी ने पग-पग पर महात्मा गांधी का साथ दिया। और 22 फरवरी 1944 को दिल का दौरा पड़ने से वो सदा के लिए स्वर्गवासिनी हो गई।
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