कर्म कर फल की चिंता ना कर, ये Famous Quotes है गीता का। जो बताता है क्या करना है, कैसे करना है और क्यों करना है? इस सवालों का जवाब खोजना बेहतर है, नाकि कर्म को समाप्त किए या शुरुआत किए बिना उसके रिज़ल्ट पर सोचे। इसलिए हम कर्म पर शानदार श्लोक पेश कर रहे है, जो पथ प्रस्थत भी करेगा-
अनुक्रम
Karma Sanskrit Quotes
#उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः
न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगा:!!!
(कोई भी काम मेहनत से ही पूरा होता हैं बैठे बैठे
हवाई किले बनाने से नहीं अर्थात सिर्फ सोचने भर
से नहीं ठीक उसी प्रकार सोते हुए शेर के मुँह में
हिरण खुद नहीं चला जाता!!!)
Sanskrit Shlok on Karma
#सन्यास: कर्मयोगश्व नि: श्रेयसकरावुभौ
तयोस्तु कर्म सन्यासात्कर्मयोगो विशिष्यते!!!
(मुक्ति के लिए तो कर्म का परित्याग तथा भक्तिमय-कर्म
दोनों ही उत्तम हैं किन्तु इन दोनों में से कर्म के परित्याग से भक्तियुक्त कर्म श्रेष्ठ हैं!!!)
#लोका: समस्ता: सुखिनो भवन्तु!!!
(सारा सँसार सुखी रहे!!!)
#अवष्यकर्णीय च मा त्वा कालोअत्यागदयंम
(जो कर्म अवश्य करना हैं उसे कर डालो समय बीत न जाये!!!)
#श्रयान् स्वधर्मो विगुण परधर्मात् स्वनुष्टितात्
स्वधर्म निधन श्रेय: परधर्मो भयावह:!!!
(अपने नियत्कर्मो को दोषपूर्ण ढंग से सम्पन्न करना भी अन्य के कर्मो को भलीभांति करने से श्रेश्कर हैं स्वीय कर्मो को करते हुए मरना पराये कर्मो में प्रवत होने की अपेक्षा श्रेष्ठतर हैं क्योंकि अन्य किसी मार्ग का अनुसरण भयावह होता हैं!!!)
#न कृतत्व न कर्मणि लोकस्य सृजति प्रभु
न कर्मफलसयोग स्वभावस्तु पर्वतरते!!!
(परमेश्वर न तो मनुष्यो के कर्तव्य का, न कर्मो का और न कर्मफल के सयोंग का ही सर्जन करता है किन्तु ये सब स्वभाव से ही प्रवर्तित हो रहा हैं!!!)
Geeta Shlok on Karma in Sanskrit
#सन्यासस्तु महाबाहो दुःखमाप्तुमयोगत:
योगयुक्तो मुनिब्रह्म नचिरेणाधीगच्छति!!!
(भक्ति में लगे बिना केवल समस्त कर्मो का परित्याग करने से कोई सुखी नहीं बन सकता परन्तु भक्ति में
लगा हुआ विचारवान व्यक्ति शीघ्र ही परमेश्वर को
प्राप्त कर लेता हैं!!!)
#मा कुरु धनजनयौवनगर्व हरति निमेषात्काल: सर्वम्
धन, जन और यौवन पर घमंड मत करो काल इन्हें पल में छीन लेता हैं!!!
#कर्मण्येवाधिकारस्ते मे फलेषु कदाचन
मा कर्मफलहेतुभुरमा ते सन्दगोअस्तवकर्मणि!!!
(कर्म करने में ही तेरा अधिकार हैं न कि फल में
कर्मफल हेतु भी मत बन तथा कर्म न करने में
भी तेरी अशक्ति न हो!!!)
#तत्कर्म यत्र बंधाय सा विद्या सा विमुक्तये
आयासायापर कर्म विद्यानय शिल्पनैपुणम्!!!
(कर्म वही हैं जो बंधन का कारण न हो और विद्या भी वही हैं जो मुक्ति की साधिका हो इसके अतिरिक्त और कर्म तो परिश्रमरूप तथा अन्य विधाय कला कौशल मात्र ही हैं)
#सर्व कर्मवश वयम:!!!
(सब कर्म के ही अधीन हैं!!!)
#मन एव मनुष्याणां कारण बंधमोक्षयो:!!!
(मन ही मनुष्य के बंधन और मोक्ष का कारण हैं!!!)
Sanskrit Quotes on Karma with Meaning
#प्रबल: कर्मसिद्धांत:
(कर्म का सिद्धान्त बहुत प्रबल हैं!!!)
#कर्मणो ह्वपि बोद्धव्यं बोद्धव्यं च विक्रमण:
अकर्मणश्च बोद्धव्यं गहना कर्मणो गति:!!!
(कर्म का स्वरूप भी जानना चाहिये और अकर्म का स्वरूप भी जानना चाहिये तथा विकर्म का स्वरूप भी जानना चाहिये क्योंकि कर्म की गति गहन हैं!!!)
#योगयुक्तो विशुद्धात्मा विजितात्मा जितेंद्रिय सर्वभुआत्माभुआत्मा कुर्वन्नपि न लीपलयते!!!
(जो भक्तिभाव से कर्म करता हैं जो विशुद्ध आत्मा हैं
और अपने मन तथा इंद्रियों को वश में रखता हैं वह सभी को प्रिय होता हैं और सभी लोग उसे प्रिय होते हैं
ऐसा व्यक्ति कर्म करता हुआ भी कर्म नहीं बंधता हैं!!!)
#यस्तु संचरते देशान् यस्तु सेवते पंडितान
तस्य विस्तारित बुद्धिस्टेलेबिंदुरिवंभासि!!!
(भिन्न देशों में यात्रा करने वाले और विदद्वानो के साथ संबंध रखने वाले व्यक्ति की बुद्धि उसी तरह बढ़ती हैं जैसे तेल की एक बून्द पानी मे फैलती हैं!!!)
#अतितृष्णा न कर्तव्या तृष्णा नैव परित्यजेते
शनै: शनैश्व भोक्तव्य स्वयं वित्तमुपार्जितम्!!!
(अत्यधिक इच्छाएं नहीं करनी चाहिये पर इच्छाओं का सर्वथा त्याग भी नही करना चाहिए अपने कमाए हुए धन का धीरे धीरे उपभोग करना चाहिये!!!)
Sanskrit Slokas on Karma with Meaning in Hindi
#कर्मफल यदाचरित कल्याणी शुभ वा यदि वांशुभम
तदवे लभते भद्रे कर्ता कर्मजमातमन:!!!
(मनुष्य जैसा भी अच्छा या बुरा कर्म करता हैं उसे वैसा ही फल मिलता हैं कर्ता को कर्म अपने कर्म का फल अवश्य भोगना पड़ता हैं!!!)
#दुर्जन: परिहर्तव्यों विद्यालकृतो सन
मणिना भूषितो सर्प: किमसो न भयंकर:!!!
(दुष्ट व्यक्ति यदि विद्या से सुशोभित भी हो अर्थात वह विद्यावानभि हो तो भी उसका परित्याग कर देना चाहिए जैसे मणि से सुशोभित सर्प क्या भयंकर नहीं होता!!!)
#विपदी धैर्यमथाभ्युदये क्षमा सदसी वाक्पटुता युधि
विक्रम: यशसि चाभी रुचिवैर्यसन्न श्रुतौ प्रकृतिसिद्धिमिद
हि महतमनाम्!!!
#वाणी रसवती यस्य यस्य श्रमवति क्रिया
लक्ष्मी: दानवती यस्य सफलम् तस्य जिवितम्!!!
#मात्रास्पर्शास्तु कौन्तेय शीतोष्णसुखदु: खदा:
आग मापायिनोनित्यास्तासिततिक्षस्व भारत!!!
#यद्त्सद्स्यते लोके सर्व तत्कर्मसंभवम्
सर्वा कर्मानुसारण जंतुभौगांभुक्ति वै!!!
Karma Tattoo Sanskrit
#अध चित्त समाधातु न शक्रोषि मयी स्थिरम्
अभ्यासयोगने ततो मामिच्छापतु धनश्चय!!!
#न कश्चित कस्यचित मित्रम् न कश्चित कस्यचितपुरु
व्यवहारेंण जायते मित्राणि रिपव्यस्तथा!!!