उत्साह-प्रेरणा, ये वे शब्द है, जिन्होंने दुनिया के सबसे कठिनतम कार्य को सफलतापूर्वक निपुण करवाया है या
यूं कहें आज दुनियाँ जहां है, उसमें इनका ही हाथ है।
ये इंसान की मस्तिष्क पर एक टॉनिक की तरह काम करता है, जो विघ्नों को धुंधला करता है, सारा ऊर्जा को मैन गोल पर फोकस करवाता है। जिसके बाद सफलता की पटकथा लिखी जाती है।
अगर आपको भी चाहिए ये टॉनिक तो हम पेश कर रहे है प्रेरणादायी संस्कृत श्लोक-
अनुक्रम
Inspirational Sanskrit Quotes
#वाणी रसवती यस्य, यस्य श्रमवती क्रिया
लक्ष्मी: दानवती यस्य, सफल तस्य जीवित!!!
(जिस मनुष्य की वाणी मीठी हैं, जिसका कार्य परिश्रम से परिपूर्ण हैं, जिसका धन दान करने में प्रयोग होता हैं, उसका जीवन सफल हैं!!!)
#पृथ्वियां त्रीणि रत्नानि जलमन्नम सुभाषित
मूढ़े: पधानखंडशु रत्नसंज्ञा विधीयते!!!
(इस धरती पर तीन रत्न हैं जल, अन्न और शुभ वाणी, पर मूर्ख लोग पत्थर के टुकड़ों को रत्न की संज्ञा देते हैं!!!)
#येशा न विद्या न तपो न दान ज्ञान न शील न गुणों न धर्म: ते मर्त्यलोक भुविभारभुता मनुष्यरूपेण मृगश्वरन्ति!!!
(जिन लोगों के पास विद्या, तप, दान शील, गुण और धर्म नहीं होता, ऐसे लोग इस धरती के लिए भार हैं और मनुष्य के रूप में जानवर बनकर घूमते हैं!!!)
Sanskrit Motivational Quotes
#मुर्खस्य पंच विह्मनी गर्वो दुर्वचन तथा
क्रोधष्व दृढवादष्व परवाक्येशवनादर:!!!
(एक मूर्ख के पाँच लक्षण होते हैं घमंड, दुष्ट वार्तालाप, क्रोध, जिद्दी तर्क और अन्य लोगों के लिए सम्मान में कमी!!!)
#दुर्जन: स्वस्वभावेंन परकार्य विनश्यति
नोदर तृप्तिमायाति मूषक: वस्त्रभक्षक:!!!
(दुष्ट व्यक्ति का स्वभाव ही दूसरे के कार्य बिगाड़ने का होता हैं, वस्त्रों को काटने वाला चूहा पेट भरने के लिए कपडे नहीं काटता!!!)
#यानि कानि च मित्राणी कर्तव्यानी शतानि च
पश्य मुशिकमित्रण कपोता: मुक्तबंधना:!!!
(छोटे हो या बड़े, निर्बल हो या सबल अधिक से अधिक संख्या में मित्र बना लेना चाहिए, क्योंकि न जाने किसके द्वारा किस समय कैसा काम निकल जाये!!!)
#विद्या ददाति विनय विन्याद याति पात्रताम्
पत्रत्वात् धनमाप्रोति धनात् धर्म तत: सुखम्!!!
(ज्ञान विनम्रता प्रदान करता हैं, विनम्रता से योग्यता आती हैं और योग्यता से धन प्राप्त होता हैं, जिससे व्यक्ति धर्म के कार्य करता हैं और सुखी रहता हैं!!!)
#लोका: समस्ता: सुखिनो भवन्तु!!!
(सारा संसार सुखी रहे!!!)
#जीवेषु करुणा चापि मैत्री तेषु विधियताम्
(जीवों पर करुणा एवं मैत्री कीजिये!!!)
#यो धुरवाणी परित्यज्य अध्रुवाणी निषेवतो धुरवाणी
तस्य नश्यन्ति अध्रुवाणी नष्ट मेवही!!!
(जो निश्चित को छोड़कर अनिश्चित का आश्रय लेते हैं उनका निश्चित भी नष्ट हो जाता हैं और अनिश्चित तो लगभग नष्ट के समान हैं ही!!!)
Motivational Sanskrit Shlok
#उधमेंन ही सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथै:
न ही सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगा!!
(कोई भी काम मेहनत से ही पूरा होता हैं। बैठे बैठे हवाई कीले बनाने से नहीं, ठीक उसी प्रकार सोते हुए शेर के मुँह में हिरण खुद नहीं चला जाता!!!)
#गुरुब्रह्मा गुरूविष्णु: गुरुद्रवों माहेश्वर: गुरु:
साक्षात पर ब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नमः!!!
(गुरु ही ब्रह्म हैं, गुरु ही विष्णु हैं, गुरु ही शंकर हैं, गुरु ही साक्षात परब्रह्म हैं, ऐसे गुरु का मैं नमन करता हूँ!!!)
#अन्न न निंद्यता तद् वृतम्
(अन्न की निंदा मत करो, वहीं व्रत हैं!!!)
#धर्म धर्मादर्थ: प्रभवति धर्मातप्रभवते सुखम
धर्माणं लभते सर्व धर्मप्रसारमिद् जगत!!!
(धर्म से ही धन, सुख तथा सब कुछ प्राप्त होता हैं
इस संसार में धर्म ही सार वस्तु हैं!!!)
#न मातु: पर्दैवतम्!!!
(माँ से बढकर कोई देव नहीं हैं!!!)
#चंदन शीतल लोके चंदनादपि चंद्रमा:
चन्द्रचंद न्योमर्ध्य शीतला साधुसंगति:!!!
(इस दुनियाँ में चन्दन को सबसे अधिक शीतल माना जाता हैं। पर चंद्रमा चंदन से भी शीतल होता हैं, लेकिन एक अच्छा दोस्त चंद्रमा और चंदन से शीतल होता हैं!!!)
Sanskrit Motivational Words
#नमन्ति फलिनो वृक्षा नमन्ति गुणीनो जना:
शुष्क काष्ठश्व मुर्खभ न नमन्ति कदाचन!!!
(फलों से लदे हुए वृक्ष भूमि की ओर झुक जाते हैं
गुणी लोग भी सदैव झुक जाते हैं, किन्तु सुखी लकड़ी और मूर्ख लोग कभी झुकते नहीं हैं!!!)
#उद्यम: साहस, धैर्य, बुद्धि: शक्ति: पराक्रम:
षडेते यत्र वर्तन्ते तत्र दैव सहायकर्त!!!
(उद्योग, साहस, धैर्य, बुद्धि, शक्ति और पराक्रम यह छः गुण जिस भी व्यक्ति के पास होते हैं, भगवान भी उसकी मदद करते हैं!!!)
#दयाहीन निष्फल सयंत्रासति धर्मस्तु तत्र हि
एते वेदा अवेदा: स्यु दर्या यत्र न विद्यते!!!
(बिना दया के किये गए काम मे कोई फल नहीं मिलता
ऐसे काम मेँ धर्म नहीं होता जहाँ दया नहीं होती, वहाँ वेद भी अवेद बन जाता हैं!!!)
#यथा चित्त तथा वाचो यथा वाचस्तथा क्रिया:
चित्ते वाचि क्रियांयांच् साधुनामेंकुरप्ता!!!
(अच्छे लोग वही बात बोलते हैं जो उनके मन मे होती हैं। अच्छे लोग जो बोलते हैं वहीं करते हैं ऐसे पुरुषों के मन
वचन व कर्म में समानता होती हैं!!!)
#नाभिषेको न संस्कार: सिंहस्य क्रियते वने
विक्रमार्जित राज्यस्य स्वयमेव नरेंद्रता!!!
#सिंहवत्सर्ववेगेंन पतन्त्यर्थ किलार्थीन:!!!
#क्षणश: कणशश्चव विद्यामर्थ च साधयेते
क्षणत्यागें कुतो विद्या कणत्यागे कुतो धनम्!!!
#अय निज: परो वेत्ति गणना लघुचेतसाम्
उदारचरिताना तू वसुधैवकुटुम्बकम्!!!
#गते शोको न कर्त्तव्यों भविष्य नैव चिन्त्येत
वर्तमानने कालेन वृत्यन्ति विवक्षण:!!!