उन दिनों बदहाल और सबसे गरीब देशों में शुमार भारत का कमान संभालना आसान ना था। एक ओर जहां महंगाई मुंह फाड़े खड़ा था तो दूसरी ओर भारी बेरोजगारी से युवक टूटते जा रहे थे। इस विषम परिस्थितियों में भी उस आर्यन लेडी ने देश की कमान ही नहीं संभाली, बल्कि पाकिस्तान को मुंह तोड़ा जवाब दी और सफल परमाणु परीक्षण से देश को परमाणु संपन्न बनाई। जिसके के लिए पूरी दुनियाँ उन्हें सलाम करती है, फ्रेंड वो और कोई नहीं, बल्कि भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री Indira Gandhi है, जो अपने चट्टान जैसे इरादें और बुलंद हौसलों के लिए हमेशा याद की जाएंगी।
आज हम इस Hindi Biography द्वारा Indira Gandhi की संघर्षिल कहानी को जानेंगे –
अनुक्रम
Indira Gandhi Hindi Biography (Wiki)
Parents
इन्दिरा गांधी का जन्म इलाहाबाद में भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के घर में हुआ था। उनकी माँ कमला नेहरू गृहणी थी। इन्दिरा गांधी अपने माता-पिता की इकलौती संतान थी।
उनके दादा मोतीलाल नेहरू ने उनका नाम इन्दिरा रखा, पर उन्हें घर में इन्दु कहकर पुकारा जाता था।
Education
चूंकि उनके पिता और दादा मोतीलाल नेहरू भारत के राजनीतिक में बड़े औहदेदार थे। जिसकारण उनके घर में बड़े-बड़े नेतायों का आना-जाना लगा रहता था।
जिसकारण वो छोटी सी उम्र से अनायास ही राजनीति की एबीसीडी सीखने लगी। इसी बीच घर में ही ट्यूटर द्वारा उनकी शुरुआती शिक्षा होने लगी।
उन्हीं दिनों गांधीजी ने स्वदेशी आंदोलन छेड़ दिया। उस वक्त इन्दिरा मात्र पाँच की थी। तब उन्होंने इस आंदोलन के समर्थन में इंग्लैंड मंगाई गुड़िया जला दी थी।
इन्दिरा पढ़ाई में ठीक ना थी, इसलिए उनके पिता ने Modern School, Delhi में दाखिला दिला दिया। पर उनकी स्कूली शिक्षा St Cecilia’s and St Mary’s Christian Convent School, Allahabad, International School of Geneva, The ECole Nouvelle और Pupils’ Own School Poona से पूरी हुई।
जब प्रियदर्शिनी कहलाई
इसके बाद वो रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा शांतिनिकेतन में स्थापित विश्व भारती विश्वविद्यालय में प्रवेश ली।
जहां एक इंटरव्यू के दौरान रवीद्रनाथ टैगोर ने प्रियदर्शिनी नाम दिया। जिसके बाद से वो इन्दिरा प्रियदर्शिनी नेहरू के नाम से जानी गयी।
माँ की सेवा
इन्हीं दिनों उनकी माँ तपेदिक से बीमार रहने लगी। जिस कारण उन्हें माता की देख-रेख की ज़िम्मेदारी निभानी पड़ी। इससे उनकी पढ़ाई भी छूट गई।
यूरोप में पढ़ाई
फिर उनके पिता शिक्षा की अहमियत समझते हुए उन्हें पढ़ाई के लिए यूरोप भेज दिया। पहले वो कुछ दिनों तक Badminton School में पढ़ी। इसी समय भारत से दुख की खबर आई कि उनकी माँ का देहांत हो गया। इससे बहुत दुखी हुई, पर अपनी पढ़ाई जारी रखने का निश्चय की, इसलिए उस स्कूल को छोड़ ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की Somerville College में एड्मिशन के लिए चली गई, जहां दो बार Entrance Exam में फेल हुई।
वो History, Political Science और Economics में अच्छे मार्क्स अर्जित कर लेती थी, पर हमेशा Latin विषय में फेल हो जाती है।
Latin एक Compulsory Subject था, जिसके कारण अन्य Subjects में पास होने के बावजूद एड्मिशन नहीं मिल सका।
बरहाल वो अपनी कोशिशें जारी रखी और अंतत: तीसरे प्रयास में एड्मिशन पाने में सफल रही।
जब इन्दिरा को प्यार हुआ
अब वह नियमित रूप से पढ़ाई करने लगी। इसी कॉलेज में उनकी मुलाक़ात बचपन के मित्र और फ्युचर हसबेंड फिरोज गांधी से हुई। तभी से वे एक-दूसरे को चाहने लगे।
गिरता स्वास्थ्य
अब नये मौसम की मार से उनका स्वास्थ्य धीरे-धीरे खराब होने लगा। जिसके इलाज के लिए उन्हें बार-बार स्विट्ज़रलैंड जाना पड़ा। जिससे पढ़ाई भी डिस्टर्ब होती रही। फिर उन्हें अपने स्वास्थ्य में कोई खास-सुधार नजर नहीं आ रहा था। इसलिए वो बीच में पढ़ाई छोड़ 1941 में इंग्लैंड होते हुए भारत लौट आई।
शादी
स्वास्थ्य ठीक होने के बाद वो आजादी की लड़ाई में कूद पड़ी। इस बीच फिरोज गांधी भी यूरोप से लौट आए थे। तब दोनों ने अपने प्यार को अंतिम अंजाम तक पहुंचाने का निर्णय लिया।
लेकिन फिरोज गांधी का पारसी होने के कारण जवाहलाल नेहरू को यह रिश्ता मंजूर ना था। लेकिन इन्दिरा भी कहाँ पीछे हटने वाली थी। अंतत: जवाहरलाल नेहरू को बेटी की जिद के आगे इस रिश्ते को मंजूरी देनी पड़ी। फिर 16 मार्च 1942 को उन दोनों का विवाह हुआ।
आजादी के लिए संघर्ष
शादी के बाद भी इन्दिरा ने आजादी के लिए अपनी लड़ाई जारी रखी, जिसके उन्हें सितंबर 1942 में गिरफ्तार कर लिया और मई 1943 में बरी कर दिया गया। गिरफ्तारी होना और बरी होना चलता रहा।
शरणार्थियों की सेवा
अंतत: 1947 में भारत को आजादी मिली। इसके ठीक बाद भारत विभाजन के भीषण दर्द से गुजरा। जिससे बड़ी संख्या में शरणार्थी पाकिस्तान से भारत आने लगे। जिनकी देखभाल की ज़िम्मेदारी इन्दिरा ने बखूबी निभाई।
राजनैतिक प्रवेश
जब जवाहरलाल नेहरू को प्रधानमंत्री बनाया गया तो वो उनकी अनौपचारिक निजी सहायक बन गई। जिससे वो जल्द ही राजनीति की बारीकियों को समझने लगी और साथ ही अपनी पैठ भी जमाने लगी।
इसका उन्हें जल्द फायदा हुआ, जब उन्हें 1955 में कॉंग्रेस पार्टी की कार्यकारिणी में शामिल कर लिया गया। लगातार बेहतर कार्यक्षमता और कुशल नेतृत्व के कारण उन्हें 1959 में मात्र 42 वर्ष की उम्र में कॉंग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए चुन लिया गया।
1964 में पिता के निधन के बाद उन्हें लाल बहादुर शास्त्री के नेतृत्व वाली सरकार में सूचना और प्रसारण मंत्री का पद मिला। उन्होंने अपने जिम्मेदारियों को निर्वहन करते हुए आकाशवाणी को मनोरंजक और प्रतिष्ठित बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सन 1965 में भारत-पाकिस्तान के युद्ध में आकाशवाणी ने देश की एकता और भावना को मजबूत करने में महत्वपूर्ण निभाई। खुद इन्दिरा गांधी सीमायों पर जाकर भारतीय सेना का मनोबल ऊंचा किया करती थी।
जब पहली बार प्रधानमंत्री बनी
1966 में लाल बहादुर शास्त्री की आकस्मिक निधन के बाद कॉंग्रेस अध्यक्ष के. कामराज ने प्रधानमंत्री के पद के लिए इन्दिरा गांधी का नाम सुझाया। पर कभी जवाहर लाल नेहरू के सहयोगी रहे मोरारजी देसाई ने भी इस पद के लिए अपने नाम को प्रस्तावित किया।
फिर इस गतिरोध को मतदान द्वारा दूर किया गया। इस मतदान में इन्दिरा भारी मतों से विजयी हुई और भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री बनी। इससे मोरारजी देसाई नाराज हो गए और कॉंग्रेस को विखंडित करते हुए अपनी अलग पार्टी बना लिये।
जिसके कारण 1967 के आम-चुनाव में कॉंग्रेस को भारी नुकसान उठाना पड़ा। लेकिन इन्दिरा बेहद कम बहुमत से अपनी अस्थिर सरकार बनाने में सफल रही। अपने कार्यकाल के दौरान 1969 में उन्होंने बैंकों का राष्ट्रीयकरण की।
जब दूसरी बार प्रधानमंत्री बनी
1971 में अपनी स्थिति मजबूत करने के उद्देश्य से लोकसभा को भंग कर चुनाव की घोषणा कर दी और गरीबी हटायों जुमले के साथ भारी बहुमत से चुनाव जीतने में सफल रही।
1971 की लड़ाई
उसी समय बांग्लादेश के चलते भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ गया। पर यह युद्ध केवल इन दो देशों के बीच ना था, बल्कि विश्व की दो महाशक्ति अमेरिका और सोवियत संघ रूस के मध्य भी था।
जिसमें रूस की जीत हुई। जिससे भारत ढाका को सफलतापूर्वक आजाद करा लिया।
इस युद्ध में पाकिस्तान के 93 हजार पाक सैनिकों ने अपने हथियार डाल दिये, जो किसी भी सेना की सबसे बड़ी हार है।
युद्ध समाप्ती के बाद पाकिस्तान की नई राष्ट्रपति बनी जुल्फीकार अली भुट्टो ने इन्दिरा गांधी के समक्ष शांति वार्ता का प्रस्ताव रखा। जिसे इन्दिरा ने स्वीकार की और शिमला में यह समझौता पूर्ण हुआ। इसे ही इतिहास में शिमला समझौता के नाम से जाना जाता है।
इस युद्ध से भारत पर काफी आर्थिक बोझ बढ़ गया और साथ ही विश्व पटल पर पेट्रोलियम की बढ़ती कीमतों के कारण महंगाई आसमान छूने लगी। जिससे देश में मंदी की दौर चलने लगा।
फिर भी वो देशहीत के लिये बीमा और कोयला उद्योग का राष्ट्रीयकरण, भूमि सुधार जैसे कई महत्वपूर्ण कार्य करने में सफल रही।
जब देश ने देखा पहली बार आपातकाल की घोर काली-काली रातें
तभी इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उनके चुनावी जीत को रद्द कर दिया और उन्हें छह वर्षों के लिए चुनाव लड़ने से बैन कर दिया। इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की। कोर्ट ने 14 जुलाई 1975 को सुनवाई की तारीख तय की।
पर जय प्रकाश नारायण और समर्थित विपक्षी पार्टी ने इन्दिरा सरकार को अस्थिर करने के उद्देश्य से अपने आंदोलनो को उग्र रूप दे दिया।
इस विकट परिस्थति को निपटने के लिए इन्दिरा गांधी ने 26 जून 1975 को देश में आपातकाल की घोषणा कर दी। इसके बाद सभी विरोधी नेतायों को जेल में ठूंस दिया गया।
देश के रेडियों, टीवी और अखबारों पर रोक लगा दिया और नागरिकों के मौलिक अधिकारों को समाप्त कर दिया गया।
देश दो सालों तक इस आपातकाल का गुलाम बना रहा। फिर 1977 में इन्दिरा ने आपातकाल को निरस्त की और सभी राजनैतिक कैदियों को आजाद की। साथ ही लोकसभा चुनाव की घोषणा की।
विपक्ष की जीत
पर आपातकाल के कारण जनता काफी ज्यादा निराशा थी, जिसके कारण उनकी बहुत बुरी हार हुई।
उनके विपक्षी पार्टी के नेता मोरारजी देसाई ने देश का कमान संभाला और इन्दिरा गांधी के खिलाफ कई मुकदमें दायर किया। जिससे उन्हें जेल भी जाना पड़ा।
मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री के रूप में सफल नहीं रहे और मात्र तीन साल में अंतर्कलह के कारण उनकी सरकार गिर गई।
इस बीच इन्दिरा गांधी के जेल जाने और आपातकाल के लिए माफी मांगने से जनता उनके प्रति सहानुभूति भावनायों से भर गई। जिससे 1980 में हुए आम-चुनाव बड़ी जीत के रूप में फायदा मिला।
जब तीसरी बार बनी प्रधानमंत्री
इस तरह Indira Gandhi तीसरी बार भारत की प्रधानमंत्री बनी।
सिख अलगाववादी और ऑपरेशन ब्लू स्टार
1984 में जरनैल सिंह भिंडरावाले के नेतृत्व में पंजाब में अलगाववादी पनपने लगे। उनकी चाहत थी कि वे पंजाब राज्य को खालिस्तान नाम से एक अलग देश के रूप बसाये।
अलगवादियों ने हरमंदिर साहिब को अपना मुख्यालय बना लिया था। तब Indira Gandhi ने हाथों से नियंत्रण खोता देख सैन्य कार्यवाही की अनुमति दी। इस ऑपरेशन का नाम ब्लू स्टार रखा गया, जो 1 जून से 8 जून 1984 तक चला। जिसमें सभी अलगवादियों को मार गिरा दिया गया।
इस ऑपरेशन में सैकड़ों आमजन की जाने भी गई। जिसके कारण सिख समुदाय में भारी गुस्सा व्याप्त हो गया और सभी सिखों ने सरकारी नौकरी से त्याग पत्र दे दिया तो कईयों ने अवार्ड्स तक लौटा दिये।
इसी गुस्से के कारण 31 अक्तूबर 1984 को उनके दो सिख बॉडीगार्ड सतवन्त सिंह और बिंत सिंह ने दिल्ली के प्रधानमंत्री आवास पर उन्हें गोलियों से भूँज दिया।
अंतिम क्षण
जबकि खुफियाँ एंजेन्सी ने पहले ही इसतरह के हमले को लेकर Indira Gandhi से अपनी आशंका प्रकट कर चुके थे। उन्होंने उन्हें सिख बोडिगार्ड्स को हटाने का सलाह भी दिये थे। पर इन्दिरा ने कहा “क्या हम धर्मनिरपेक्ष नहीं है ?” और सलाह मनाने से इंकार कर दी।
आनन-फानन उन्हें AIIMS में भर्ती किया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। इस तरह भारत की एक राजनीतिक युग की समाप्ती हुई।
Personal Life
कुछ निर्णयों के लिए Indira Gandhi को क्रूर माना जाता है, पर कुशल नेतृत्व और राजनीतिक संचालन में वो अपने पिता से भी अव्वल थी। इसलिए उन्हें विश्व-भर में याद किया जाता है।
आजादी के पहले देश में प्रेम विरले ही होता था। पर इलाहाबाद की इस प्रिसेज को विदेश में पढ़ाई के दौरान गुजरात के फिरोज गांधी, एक पारसी युवक से प्रेम हो गया था। बात शादी जा पहुंची।
पर पिता की ख़्वाहिश थी कि बेटी शादी करे तो कोई सजातीय युवक से। पर वो कहाँ मानने वाली थी, आखिर पिता को इस शादी के लिए अनुमति देनी पड़ी।
16 मार्च 1942 को विवाह सम्पन्न हुआ। शुरुआत के दो सालो तक शादी का यह बंधन ठीक चला। फिर दोनों में मतभेद और भारी नाराजगी ने जन्म लिया। इस बीच 1944 में राजीव गांधी और 1946 में संजय गांधी का जन्म हुआ।
8 सितंबर 1960 को वो जब अपने पिता के साथ विदेशी दौरे पर थी तब उनके पति का आकस्मिक निधन हो गया। इस तरह उनकी ग्रहस्ती खत्म हो गई और पूर्ण रूप से एक राजनीतिक महिला बन गई।
Quick Fact
Name – Indira Gandhi
Full Name – Indira Priyadarshini Gandhi
Date of birth – 19 November 1917
Place of birth – Allahabad
Date of death – 31 October 1984
Place of death – New Delhi
Family
Father – Jawaharlal Nehru
Mother – Kamala Nehru
Husband – Feroze Gandhi
Sons – Rajiv Gandhi & Sanjay Gandhi
कुछ चटपटी बातें
1.जब Indira Gandhi शुरुआत में राजनीति में आई थी, तो वो हमेशा चुप-सी रहती थी। इसलिए विरोधियों ने उन्हें गूंगी गुड़ियाँ कहा। आखिर जिसने पाकिस्तान को धूल चटाई, देश को दो साल तक आपातकाल के अंधेरे में रखी, परमाणु परीक्षण की। वो कैसे गूंगी गुड़ियाँ हो सकती है। शायद यहीं वजह थी कि विरोधियों को आपातकाल के समय जेल में ठूंस दिया गया।
2.देश को दो साल तक इमर्जैंसी की अंधकार में धकेलने वाली खुद Indira Gandhi को अंधेरे से डर लगता था। एक इंटरव्यू में कहती है, “मुझे अंधेरे से डर लगता था। रात को बेडरूम तक जाने में डरती थी। मैंने निश्चय किया इससे खुद छुटकारा पाना है।”
3.जब बांग्लादेश युद्ध चल रहा था। उस रात Indira Gandhi देर तक काम करती रही। पर अगले सुबह अपने कमरे को साफ करते नजर आई। शायद थकान दूर करने का उनका अनोखा तरीका था। काम से उत्पन्न थकान को काम से मिटाना। What An Idea Indira Gandhi G !!
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