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    Home»Others»Hindi To Sanskrit Translation-5 Easy Rule में संस्कृत अनुवाद
    hindi to sanskrit translation

    Hindi To Sanskrit Translation-5 Easy Rule में संस्कृत अनुवाद

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    By Ravi Kumar on Mar 28, 2022 Others

    क्या आप संस्कृत में अनुवाद करना चाहते है?

    चूंकि संस्कृत भाषा भारत की प्राचीनतम भाषायों में से एक है, जिसे देवों की भाषा भी कहा जाता है। जिसका उच्चारण कर ले तो अलग ही अनुभूति होती है।

    लेकिन आम जीवन में विशेष पुजा अनुष्ठान कोको छोड़कर बिलकुल भी प्रचलन में नहीं है। जिससे संस्कृत से हम दूर होते जा रहे है और ये उतना ही कठिन लगने लगा है। पर वास्तव में ज्यादा कठिन नहीं है।

    हम संस्कृत की उसी सरलतम रूप को यहाँ पेश कर रहे है, जिसमें आप जान सकेंगे, कैसे आप 30 मिनट में संसकृत अनुवाद करना सीख सकते है-

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    अनुक्रम

    • अनुवाद करने से पहले जरूरी चीजें
      • 1.पुरुष (कर्ता)
      • 2.धातु रूप (क्रिया रूप)
      • 3.विभक्ति (कारक)
      • स्वयं संस्कृत सीखें मात्र 30 दिन में
    • अनुवाद कैसे करे?
      • नियम-1
      • नियम-2
      • नियम-3
      • नियम-4
      • नियम-5

    अनुवाद करने से पहले जरूरी चीजेंhindi to sanskrit translation

    हिन्दी से संकृत में translation करने से पहले कुछ चीजें जानना बेहद जरूरी है, जो हैं –

    1.पुरुष (कर्ता)

    संस्कृत में ये तीन प्रकार के होते है। उत्तम पुरुष, मध्यम पुरुष और प्रथम पुरुष
    जिसमें बोलने वाला उत्तम पुरुष, सुननेवाला मध्यम पुरुष और जिसके बारे में बात हो रही हो उसे प्रथम या अन्य पुरुष कहते है।

    पुरुष एकवचन द्विवचन बहुवचन
    प्रथम स:(वह) तौ (वे दोनों) ते (वे सब)
    मध्यम त्वम् (तुम) युवाम् (तुम दोनों) यूयम् (तुम सब)
    उत्तम अहम् (मैं) आवाम् (हम दोनों) वयम् (हम सब)

    प्रथम पुरुष में नाम, पक्षी, जानवर, देव, छात्र, दानव आदि को शामिल किया जाता है।

    2.धातु रूप (क्रिया रूप)

    संस्कृत में क्रिया के रूप काल, वचन और पुरुष के अनुसार बदलते रहते है और वाक्य में उनके अनुसार ही प्रयुक्त होते है।

    काल के अनुसार ये 10 रूपों में होते है, जिसे लकार भी कहते है। पर पाँच लकार का ही प्रमुखता से उपयोग होता है। जिसे जान लेते है –

    लट् लकार (वर्तमान काल)

    पुरुष एकवचन द्विवचन बहुवचन
    प्रथम ति त: अन्ति
    मध्यम सि थ: थ
    उत्तम आमि आव: आम:

    प्रयोग – पठ (पढ़ना)

    प्रथम पुरुष
    एक. पठति स: पठति : वह पढ़ता है
    द्वि. पठत: तौ पठत: वे दोनों पढ़ते हैं
    बहु. पठन्ति ते पठन्ति वे सब पढ़ते हैं
    मध्यम पुरुष
    एक. पठसि त्वं पठसि तुम पढ़ते हों
    द्वि. पठथ: युवाम् पठथ: तुम दोनों पढ़ते हो
    बहु. पठथ युयम् पठथ तुम सब पढ़ते हो
    उत्तम पुरुष
    एक. पठामि अहं पठामि मैं पढ़ता हूँ
    द्वि. पठाव: आवां पठाव: हम दोनों पढ़ते हैं
    बहु. पठाम: वयम् पठाम: हम सब पढ़ते हैं

    लोट् लकार (आज्ञा)

    पुरुष एकवचन द्विवचन बहुवचन
    प्रथम तु ताम् अन्तु
    मध्यम अ तम् त
    उत्तम आनि आव आम

    प्रयोग –

    प्रथम पुरुष
    एक. पठतु स: पठतु वह पढे
    द्वि. पठताम् तौ पठतां वे दोनों पढ़ें
    बहु. पठन्तु ते पठन्तु वे सब पढ़ें
    मध्यम पुरुष
    एक. पठ त्वं पठ तुम पढ़ों
    द्वि. पठतम् युवाम् पठतम् तुम दोनों पढ़ों
    बहु. पठत यूयम् पठत तुमसब पढ़ों
    उत्तम पुरुष
    एक. पठानि अहम् पठानि मैं पढ़ूँ
    द्वि. पठाव आवाम् पठाव हम दोनों पढ़ें
    बहु. पठाम वयम् पठाम हम सब पढ़ें

    लङ्‌ लकार (भूतकाल)

    पुरुष एकवचन द्विवचन बहुवचन
    प्रथम त् ताम् अन्
    मध्यम अ: तम् त
    उत्तम अम् आव आम

    प्रयोग-

    प्रथम पुरुष
    एक. अपठत् स: अपठत् उसने पढ़ा
    द्वि. अपठताम् तौ अपठताम् उन दोनों ने पढ़ा
    बहु. अपठन् ते अपठन् उन सब ने पढ़ा
    द्वितीय पुरुष
    एक. अपठ: त्वं अपठ: तुमने पढ़ा
    द्वि. अपठतम् युवाम् अपठतम् तुम दोनों ने पढ़ा
    बहु. अपठत यूयम् अपठत तुम सब ने पढ़ा
    उत्तम पुरुष
    एक. अपठम् अहं अपठम् मैंने पढ़ा
    द्वि. अपठाव आवाम् अपठाव हम दोनों ने पढ़ा
    बहु. अपठाम वयम् अपठाम हम सब ने पढ़ा

    विधिलिङ्‌ लकार (चाहिए)

    पुरुष एकवचन द्विवचन बहुवचन
    प्रथम एत एताम् एयु:
    मध्यम ए: एतम् एत
    उत्तम एयम् एव एम

    प्रयोग

    प्रथम पुरुष
    एक. पठेत स: पठेत उसे पढ़ना चाहिए
    द्वि. पठेताम् तौ पठेताम् उन दोनों को पढ़ना चाहिए
    बहु. पठेयु: ते पठेयु: उन लोगों को पढ़ना चाहिए
    मध्यम पुरुष
    एक. पठे: त्वं पठे: तुम्हें पढ़ना चाहिए
    द्वि. पठेतम् युवां पठेतम् तुम दोनों को पढ़ना चाहिए
    बहु. पठेत यूयम् पठेत तुमसब को पढ़ना चाहिए
    उत्तम पुरुष
    एक. पठेयम अहं पठेयम मुझे पढ़ना चाहिए
    द्वि. पठेव आवां पठेव हम दोनों को पढ़ना चाहिए
    बहु. पठेम वयम् पठेम हम सब को पढ़ना चाहिए

    ऌट् लकार (भविष्यकाल)

    पुरुष एकवचन द्विवचन बहुवचन
    प्रथम स्यति स्यत: स्यन्ति
    मध्यम स्यसि स्यथ: स्यथ
    उत्तम स्यामि स्याव: स्याम:

    प्रयोग

    प्रथम पुरुष
    एक. पठिष्यति स: पठिष्यति वह पढ़ेगा
    द्वि. पठिष्यत: तौ पठिष्यत: वे दोनों पढ़ेंगे
    बहु. पठिष्यन्ति ते पठिष्यन्ति वे सब पढ़ेंगे
    मध्यम पुरुष
    एक. पठिष्यसि त्वं पठिष्यसि तुम पढ़ोगे
    द्वि. पठिष्यथ: युवाम पठिष्यथ: तुम दोनों पढ़ोगे
    बहु. पठिष्यथ यूयम् पठिष्यथ तुम सब पढ़ोगे
    उत्तम पुरुष
    एक. पठिष्यामि अहं पठिष्यामि मैं पढ़ूँगा
    द्वि. पठिष्याव: आवां पठिष्याव: हम दोनों पढ़ेंगे
    बहु. पथिष्याम: वयं पथिष्याम: हमलोग पढ़ेंगे

    3.विभक्ति (कारक)

    क्रिया के साथ जिसका सीधा संबंध हो, उसे कारक कहते हैं।
    जैसे – बालक: पठति – बालक पढ़ता है
    इस वाक्य में पठति क्रिया का संबंध बालक: से है, इसलिए बालक: कर्ताकारक हुआ।

    ये आठ प्रकार के होते है, जो अपने अर्थ के अनुसार उपयोग होते है-

    कर्ता ने बालक ने खाया है बालक: खादति
    कर्म को बालक ने रोटी खाया है बालक: रोटिकां खादति
    करण से, द्वारा बालक कलम से लिखता है बालक: कलमेन लिखति
    संप्रदान को, के लिए राम बालक को पुस्तक देता है राम: बालकाय् पुस्तकं ददाति
    अपादान से (अलग होने के लिए) घर से बालक जाता है गृहात् बालक: गच्छति
    सन्बन्ध का, के, की बालक की माता जाती है बालकस्य मातृ गच्छति
    अधिकरण में, पर बालक पर पुस्तक है बालके पुस्तकं अस्ति
    सम्बोधन हे, अरे अरे बालक हे बालक:

    चूंकि ये आठ कारकों के अर्थ अलग-अलग होते है, इसी अर्थों को व्यक्त करने वाले शब्दों के रूप भी बदलते रहते है, जिसे शब्दरूप कहते है। कर्ता, कर्म आदि के अनुसार प्रयुक्त शब्दों के एक लाइन को क्रमश: प्रथमा विभक्ति, द्वितीया विभक्ति आदि कहते है-

    बालक शब्द रूप

    विभक्ति एकवचन द्विवचन बहुवचन
    प्रथमा बालक: बालकौ बालका:
    द्वितीया बालकं बालकौ बालकान्
    तृतीया बालकेन बालकेभ्याम् बालकै:
    चतुर्थी बालकाय बालकेभ्याम् बालकेभ्य:
    पञ्चमी बालकात् बालकेभ्याम् बालकेभ्य:
    षष्टि बालकस्य बालकयो: बालकानां
    सप्तमि बालके बालकयो: बालकेषु
    सम्बोधन हे बालक! है बालकौ! हे बालका!

    ये शब्दरूप लिंग के आधार पर अलग-अलग होते है, जिन्हें आपको अध्ययन करना चाहिए।

    स्वयं संस्कृत सीखें मात्र 30 दिन में

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    अनुवाद कैसे करे?

    नियम-1

    जिस वाक्य का संस्कृत में अनुवाद करना है, सबसे पहले उसके काल, पुरुष, कारक, वचन, क्रिया आदि को अच्छे से पहचान लें।

    कर्तृवाच्य में कर्ता के पुरुष और वचन के अनुसार ही क्रिया के पुरुष और वचन होते हैं।

    कर्ता यदि प्रथम पुरुष, एकवचन हो तो उसकी क्रिया भी प्रथम पुरुष, एकवचन होगी। इसी तरह, कर्ता यदि द्विवचन हो तो क्रिया भी द्विवचन तथा कर्ता बहुवचन होने पर क्रिया भी बहुवचन होगा।
    जैसे-
    1.लड़का जाता है – बालक: गच्छति ।
    2.दो लड़के जाते हैं – बालकौ गच्छत:।
    3.लड़के जाते हैं – बालका: गच्छन्ति।

    Explanation-

    प्रथम वाक्य में लड़का (बालक:) प्रथम पुरुष, कर्ताकारक एकवचन है, इसलिए उसकी क्रिया गच्छति प्रथमपुरुष एकवचन हुआ।

    दूसरे वाक्य में दो लड़के (बालकौ) प्रथमपुरुष, द्विवचन रहने के कारण उसकी गच्छत: क्रिया भी प्रथमपुरुष, द्विवचन में हुआ।

    इसी प्रकार, तीसरे वाक्य में लड़के (बालका:) प्रथम पुरुष, बहुवचन रहने से उसकी गच्छन्ति क्रिया भी प्रथमपुरुष, बहुवचन हुआ।

    नियम-2

    यदि कर्ता है तो क्रिया भी मध्यम पुरुष होगी तथा कर्ता के वचन के अनुसार ही क्रिया का भी वचन होगा। जैसे-

    1.तुम जाते हो – त्वं गच्छसि।
    2.तुम दोनों जाते हो – युवाम् गच्छथ:।
    3.तुमलोग जाते हो – युयम् गच्छथ।

    Explanation-

    प्रथम वाक्य में तुम (त्वं) मध्यम पुरुष, कर्ताकारक एकवचन है। इसलिए उसकी गच्छसि क्रिया भी मध्यम पुरुष एकवचन में हुआ।

    दूसरे वाक्य में तुम दोनों (युवाम्) मध्यम पुरुष, द्विवचन है, इसलिए उसकी गच्छथ: क्रिया भी मध्यमपुरुष द्विवचन हुआ।

    इसी तरह, तीसरे वाक्य में तुमलोग (युयम्) मध्यमपुरुष, बहुवचन होगी, अत: उसकी गच्छथ क्रिया भी मध्यमपुरुष, बहुवचन होगी।

    नियम-3

    कर्ता यदि उत्तम पुरुष का हो तो उसकी क्रिया भी उत्तम पुरुष की होगी और कर्ता के वचन के अनुसार ही क्रिया का वचन होगा। जैसे-

    1.मैं जाता हूँ – अहं गच्छमि।
    2.हम दोनों जाते हैं – आवाम् गच्छाव:।
    3.हमलोग जाते हैं – वयम् गच्छाम:।

    Explanation-

    प्रथम वाक्य में मैं (अहम्) उत्तम पुरुष, कर्ताकारक एकवचन है, इसलिए उसके अनुसार गच्छामि क्रिया भी उत्तम पुरुष, एकवचन हुआ।

    दूसरे वाक्य में हम दोनों (आवाम्) उत्तम पुरुष, द्विवचन है, अत: उसकी क्रिया गच्छाव: भी उत्तम पुरुष, द्विवचन में हुआ।

    इसी तरह तीसरे वाक्य में हमलोग (वयम्) उत्तम पुरुष, बहुवचन कर्ता की क्रिया गच्छाम: भी उत्तम पुरुष बहुवचन में होगा।

    नियम-4

    सामान्य नियम के अनुसार वाक्य के शुरुआत में कर्ता मध्य में कर्म तथा अंत में क्रिया होना चाहिए।
    जैसे –

    राम: पुस्तकं पठति – राम पुस्तक पढ़ता है।

    पर संस्कृत वाक्य में इनके स्थानों को आपस में बदल दिया जाए तो अर्थ का अनर्थ नहीं होगा, सही होगा।
    जैसे –
    पुस्तकं पठति राम:।

    राम और श्याम घर जाते हैं- ऐसे द्विवचन वाक्य का अनुवाद राम-शयामौ गृहं गच्छत: अथवा राम: श्यामश्च् गृहं गच्छत: ऐसा होगा।
    इसका एक अन्य प्रकार भी है, राम: गृहं गच्छति श्यामश्चापि – राम घर जाता है और श्याम भी।

    अनुवाद करते समय यह देखना चाहिए कि मूल वाक्य का भाव पूर्ण रूप से स्पष्ट हुआ है या नहीं। केवल शब्द-अनुवाद से सब जगह काम नहीं चलता।

    जैसे- दिनेश और महेश में दाँतकटी रोटी है।

    इसका दिनेश-महेश्यो: दन्तैश्छिन्ना रोटिका चलति ऐसा शाब्दिक अनुवाद न होकर दिनेश-महेशयो: घनिष्ठतमा मैत्री विद्यते ऐसा भावानुवाद होगा.

    गांधीजी महापुरुष और महात्मा थे, इसका अनुवाद गाँधी महोदय: महात्मा महापुरुषश्चासीत होगा।

    यहाँ जी सममानसूचक है, इसलिए इसका भावानुवाद महोदय: के रूप में हुआ है।

    नियम-5

    याद रखने योग्य संस्कृत अनुवाद के सरल नियम:

    क.एक वाक्य में यदि प्रथम, मध्यम और उत्तम पुरुष के कर्ता विद्यमान रहें तो क्रिया उत्तम पुरुष के बहुवचन के अनुसार होगा।
    जैसे –
    हम, तुम और राम चलेंगे – अह्च्ज् तवच्ज् रामश्च गमिष्याम:।

    ख.यदि मध्यम पुरुष और उत्तम पुरुष के कर्ता एकसाथ रहे तो क्रिया द्विवचन उत्तमपुरुष होगा।
    जैसे –
    तुम और हम चलेंगे – त्वज्च अह्च्ज गमिष्याव:।

    ग.यदि प्रथम पुरुष और मध्यम पुरुष के कर्ता एकसाथ रहें तो क्रिया द्विवचन मध्यम पुरुष होगा।
    जैसे –
    राम और तुम जाओगे – रामश्चत्वज्च गमिष्यथ:।

    घ.क्रिया पद के क्रिया के अनुकूल अर्थवाले धातु के प्रयोग से अनुवाद सुंदर लगता है।
    जैसे –
    वह भोजन करता है – इसका अनुवाद स: भोजनं करोति से अच्छा स: खादति अच्छा होगा।

    जरूरी बातें:-
    जहां तक हो सके, अनुवाद की भाषा सरल, सुबोध, सुंदर और मूल भाव को स्पष्ट करनेवाली होनी चाहिए, तभी अनुवाद सफल समझा जाएगा।

    अब अभ्यास करे(अनुवाद नीचे मिल जाएगा)
    1.रमेश पढ़ता है।
    2.कुता दौड़ता है।
    3.राधा लिखती है।
    4.वह घूमता है।
    5.बकरी चरती है।
    6.दिनेश नहीं लिखता है।
    7.मौर खाता है।
    8.कोयल कूकती है।
    9.वहाँ हाथी है।
    10.बकरी दौड़ती है।

    यहाँ चेक करे अपना अनुवाद
    रमेश: पठति.
    कुक्कुर: धावति
    राधा लिखति
    स: भ्रमति
    अजा चरति
    दिनेश: न लिखति
    मयूर खादति
    कोकिल: कूजति
    तत्र गज: अस्ति
    अजा धावति

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