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    Home»Sports Persons»न कपड़े थे, न जूते थे, न ही प्रैक्टिस ग्राउंड… फिर भी उसने भारत को ओलिम्पिक में पहुंचाया | दीपा कर्माकर की पूरी कहानी
    Dipa Karmakar

    न कपड़े थे, न जूते थे, न ही प्रैक्टिस ग्राउंड… फिर भी उसने भारत को ओलिम्पिक में पहुंचाया | दीपा कर्माकर की पूरी कहानी

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    By Ravi Kumar on Apr 20, 2016 Sports Persons, Trending Now

    जब कोई इंसान पक्के इरादों के साथ कुछ करने या पाने के लिए खुद से वादा करता है और उस पर उस काम का जुनून छा जाता है। इस बीच रास्ते में चाहे कितने भी बाधायें आए, क्यों ना उसे मूल साधनों की कमियों को झेलना पड़े। अंत में वो अपना मुकाम पा ही लेता है। कुछ ऐसी ही कहानी है त्रिपुरा की Dipa Karmakar की। जो नेचुरल रूप से जिम्नास्ट के लिए फिट नहीं थी।

    पर आज 22 साल की दीपा कर्माकर ओलिम्पिक के लिए क्वालिफाई करने वाली पहली भारतीय महिला जिम्नास्ट बन गई है। 52 साल में पहली बार किसी भारतीय ने जिम्नास्टिक में ओलिम्पिक के लिए क्वालिफाई किया है।

    आखिरी बार 1964 में ऐसा हुआ था। दीपा ने 18 अप्रैल 2016 को 52.698 अंक लाकर आर्टिस्टिक जिम्नास्टिक में जगह बना ली।

    इसके कुछ घंटे बाद ही उन्होंने ओलिम्पिक का टेस्ट इवेंट माने जाने वाले वोल्ट्स फाइनल में गोल्ड भी जीत ली। यह पदक जीतने वाली वो पहली भारतीय हैं। आइये, अगरतल्ला की दीपा की Rio Olympics तक पहुँचने के सफर और संघर्ष के बारे में जानते है…

    Deepa Karmkar

    अनुक्रम

    • Dipa Karmakar (Gymnastics Player) Hindi Biography (Wiki)
      • Dipa Karmakar का Childhood, Training & Struggle
      • Quick Fact

    Dipa Karmakar (Gymnastics Player) Hindi Biography (Wiki)

    Dipa Karmakar का Childhood, Training & Struggle

    दीपा जब 6 साल की थी, तभी से उसके पिता ने सोच लिया था कि वो इसे जिम्नास्ट बनाएँगे। लेकिन इसमें एक दिक्क्त थी। दीपा के पैर के तलवे सपाट थे। ऐसे पैरों के कारण एथलीट के लिए पैर जमाना, भागना या कूदना आसान नहीं होता है। पैरों में घुमाव लाना भी असंभव होता है।

    बावजूद इसके दीपा की जिद थी कि कुछ भी हो जाए, वो जिम्नास्ट नहीं छोड़ेगी। अंतत: दीपा के पिता जो भारतीय खेल प्राधिकरण में वेटलिफ्टिंग कोच थे, ने उसे अगरतल्ला के विवेकानंद जिम में ट्रेनिंग के लिए भेज दिया। लेकिन इस जिम में ढंग के इक्विपमेंट तक नहीं थे।

    वहाँ बैलेंस बीम, कारपेटेड फ्लोर और वॉल्टिंग टेबल भी नहीं थी। मैट लगाकर वॉल्ट की तैयारी करनी पड़ती थी। जिम में बारिश के दिनों में पानी भर जाता था। चूहे और कॉकरोच भी आ जाते थे। बावजूद इसके वो अपने हुनर को संवारती गई।

    दीपा की माँ गौरी ने बताया,

    बेटी ने अपनी पहली जिम्नास्टिक कंपीटीशन में उधार की कॉस्टयूम पहनकर हिस्सा ली थी। किसी बड़ी लड़की की कॉस्टयूम थी, इसलिए ढीले-ढीले भी थे। इतना ही नहीं, उस वक्त उसके पास जूते भी नहीं थे। बावजूद दीपा ने वहाँ सभी को चौंकाया। कुछ समय बाद उसे बड़ा मौका मिला। गुवाहाटी नेशल गेम्स में। पर वो पदक नहीं जीता पाई। जब उसने अपना गेम गंवाया, तब दीपा के पिता भी मौजूद थे। लेकिन वह अपने पिता से बिना मिले वापस आ गई। घर आकर वह खूब रोई और अपने पिता से वादा कि एक न एक दिन वो ओलिम्पिक के लिए जरूर क्वालिफाई करेगी। आज उसने अपना वो वादा पूरा कर दिखाया है।

    आजादी के बाद ओलिम्पिक में अब तक सिर्फ 11 भारतीय जिम्नास्टों ने हिस्सा लिया। जिसमें से दो ने 1952, तीन ने 1956 और छह ने 1964 में भाग लिया। इनमें महिला एक भी नहीं थी।

    इस सफलता पर Dipa Karmakar का कहना है

    जिम्नास्टिक को पहले सर्कस से जोड़कर देखा जाता था। लेकिन अब सोच बदल रही है। जिम्नास्ट में मेरा एक गलत मूव मौके पर ही मेरी जान तक ले सकता है। लेकिन मेरी फिलॉसफ़ी है कि जीवन में कुछ हासिल करना है तो रिस्क तो लेना ही होगा।

    Source : DB

    हाल ही में सम्पन्न रियो ओलिंपिक्स में शानदार पर्फ़ोमेंस करते हुए दीपा करमाकर ने 15 से अधिक अंक पाये, जिसे जिम्नास्टिक में अच्छे अंक माने जाते है। जिसकी बदौलत दीपा दुनियाँ के सर्वश्रेष्ठ महिला जिम्नास्टों में चौथे स्थान पर रही, जो उम्मीदों से अधिक था।

    फिलहाल वो Master in Political Science की एक्जाम दे रही है।

    • Read Also : छोटी-सी उम्र में सफलता कैसे पाया जाता है ?? कोई इनसे सीखे।

    Quick Fact

    Date of birth – 9 August 1993

    Birth Place – Agartala, Tripura

    Age – 22 Years (2016)

    Coach – Biwaswar Nandi

    Gymnastics Medals – Bronze in Glasgow (2014), Hiroshima (2015)

    फ्रेंड, सफलता पाने के लिए नेचुरल बाधा को मात देने वाली Dipa Karmakar की कहानी से यदि आप प्रेरित होते है तो इस जबर्दस्त कहानी को जरूर शेयर करें।

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    1. आपका कोई फ्रेंड इंस्पायर हो सकता है।
    2. किसी फ्रेंड को वर्तमान दिक्कतों को फेस करने का आइडिया मिल सकता है।
    3. दीपा को इंडिया में कम ही लोग जानते है, जो ठीक नहीं है। वो अब इंडियन आईकन बन चुकी है। इसलिए सभी भारतियों को इन्हें जानना चाहिए।
    4. वैसे इंडिया में क्रिकेट के सिवाय कोई खेल पोपुलर नहीं है, जो भारतीय खेल और खिलाड़ियों में असंतुलन बनाता है। इसलिए यह आपकी और हर भारतीय की Social Responsibility बनती है कि आप भी दूसरे खेलों की Popularity बढ़ाने में सहयोग करे।

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    1993 August 9
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