जब कोई इंसान पक्के इरादों के साथ कुछ करने या पाने के लिए खुद से वादा करता है और उस पर उस काम का जुनून छा जाता है। इस बीच रास्ते में चाहे कितने भी बाधायें आए, क्यों ना उसे मूल साधनों की कमियों को झेलना पड़े। अंत में वो अपना मुकाम पा ही लेता है। कुछ ऐसी ही कहानी है त्रिपुरा की Dipa Karmakar की। जो नेचुरल रूप से जिम्नास्ट के लिए फिट नहीं थी।
पर आज 22 साल की दीपा कर्माकर ओलिम्पिक के लिए क्वालिफाई करने वाली पहली भारतीय महिला जिम्नास्ट बन गई है। 52 साल में पहली बार किसी भारतीय ने जिम्नास्टिक में ओलिम्पिक के लिए क्वालिफाई किया है।
आखिरी बार 1964 में ऐसा हुआ था। दीपा ने 18 अप्रैल 2016 को 52.698 अंक लाकर आर्टिस्टिक जिम्नास्टिक में जगह बना ली।
इसके कुछ घंटे बाद ही उन्होंने ओलिम्पिक का टेस्ट इवेंट माने जाने वाले वोल्ट्स फाइनल में गोल्ड भी जीत ली। यह पदक जीतने वाली वो पहली भारतीय हैं। आइये, अगरतल्ला की दीपा की Rio Olympics तक पहुँचने के सफर और संघर्ष के बारे में जानते है…
अनुक्रम
Dipa Karmakar (Gymnastics Player) Hindi Biography (Wiki)
Dipa Karmakar का Childhood, Training & Struggle
दीपा जब 6 साल की थी, तभी से उसके पिता ने सोच लिया था कि वो इसे जिम्नास्ट बनाएँगे। लेकिन इसमें एक दिक्क्त थी। दीपा के पैर के तलवे सपाट थे। ऐसे पैरों के कारण एथलीट के लिए पैर जमाना, भागना या कूदना आसान नहीं होता है। पैरों में घुमाव लाना भी असंभव होता है।
बावजूद इसके दीपा की जिद थी कि कुछ भी हो जाए, वो जिम्नास्ट नहीं छोड़ेगी। अंतत: दीपा के पिता जो भारतीय खेल प्राधिकरण में वेटलिफ्टिंग कोच थे, ने उसे अगरतल्ला के विवेकानंद जिम में ट्रेनिंग के लिए भेज दिया। लेकिन इस जिम में ढंग के इक्विपमेंट तक नहीं थे।
वहाँ बैलेंस बीम, कारपेटेड फ्लोर और वॉल्टिंग टेबल भी नहीं थी। मैट लगाकर वॉल्ट की तैयारी करनी पड़ती थी। जिम में बारिश के दिनों में पानी भर जाता था। चूहे और कॉकरोच भी आ जाते थे। बावजूद इसके वो अपने हुनर को संवारती गई।
दीपा की माँ गौरी ने बताया,
बेटी ने अपनी पहली जिम्नास्टिक कंपीटीशन में उधार की कॉस्टयूम पहनकर हिस्सा ली थी। किसी बड़ी लड़की की कॉस्टयूम थी, इसलिए ढीले-ढीले भी थे। इतना ही नहीं, उस वक्त उसके पास जूते भी नहीं थे। बावजूद दीपा ने वहाँ सभी को चौंकाया। कुछ समय बाद उसे बड़ा मौका मिला। गुवाहाटी नेशल गेम्स में। पर वो पदक नहीं जीता पाई। जब उसने अपना गेम गंवाया, तब दीपा के पिता भी मौजूद थे। लेकिन वह अपने पिता से बिना मिले वापस आ गई। घर आकर वह खूब रोई और अपने पिता से वादा कि एक न एक दिन वो ओलिम्पिक के लिए जरूर क्वालिफाई करेगी। आज उसने अपना वो वादा पूरा कर दिखाया है।
आजादी के बाद ओलिम्पिक में अब तक सिर्फ 11 भारतीय जिम्नास्टों ने हिस्सा लिया। जिसमें से दो ने 1952, तीन ने 1956 और छह ने 1964 में भाग लिया। इनमें महिला एक भी नहीं थी।
इस सफलता पर Dipa Karmakar का कहना है
जिम्नास्टिक को पहले सर्कस से जोड़कर देखा जाता था। लेकिन अब सोच बदल रही है। जिम्नास्ट में मेरा एक गलत मूव मौके पर ही मेरी जान तक ले सकता है। लेकिन मेरी फिलॉसफ़ी है कि जीवन में कुछ हासिल करना है तो रिस्क तो लेना ही होगा।
Source : DB
हाल ही में सम्पन्न रियो ओलिंपिक्स में शानदार पर्फ़ोमेंस करते हुए दीपा करमाकर ने 15 से अधिक अंक पाये, जिसे जिम्नास्टिक में अच्छे अंक माने जाते है। जिसकी बदौलत दीपा दुनियाँ के सर्वश्रेष्ठ महिला जिम्नास्टों में चौथे स्थान पर रही, जो उम्मीदों से अधिक था।
फिलहाल वो Master in Political Science की एक्जाम दे रही है।
Quick Fact
Date of birth – 9 August 1993
Birth Place – Agartala, Tripura
Age – 22 Years (2016)
Coach – Biwaswar Nandi
Gymnastics Medals – Bronze in Glasgow (2014), Hiroshima (2015)
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