जब पेट की रोटी और जेब का पैसा छिन जाता है… तो कोई बात समझने की वज़ह रह नहीं जाती है आदमी के पास। यहीं एक बात थी, जिसने Dilip Kumar को फिल्मों के करीब ला दिया था, जबकि इससे पहले उनका फिल्मों से कोई दूर-दूर का रिश्ता नहीं था। यहाँ तक परिवार वाले भी नहीं चाहते थे कि Dilip Kumar फिल्मों में काम करें।
उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में नौसिखिये के रूप में एंट्री ली और कुछ सालो बाद ही अपनी एक्टिंग से ऐसा धमाल मचाया कि आने वाला 6 दशक उनके नाम होकर रह गया, चाहे वो 1950 की दशक हो या 60,….. 80…. आदि।
आज वे ट्रेजडी रोल में इतने महारत हासिल कर चुके है, कि ट्रेजडी किंग कहलाते है।
आइये फ़्रेंड्स, जानते है Dilip Kumar की Interesting Story को ….
अनुक्रम
Dilip Kumar Hindi Biography (Wiki)
Parents
दिलीप कुमार का जन्म वर्तमान पाकिस्तान के पेशावर में हुआ था। उनके पिता लाला गुलाम सार्वर एक जमींदार और फल विक्रेता थे। उनकी माँ आयेशा बानो थी।
Childhood & Education
पेशावर और देओलाली (अब महाराष्ट्र में) में उनका खुद का बगान था। परिवार में उनके 11 भाई-बहन थे। वे अपने परिवार में सबसे खूबसूरत थे। इसलिए उनकी दादी घर से बाहर निकलने नहीं दिया करती थी। यदि वे घर से बाहर जाने की ज्यादा जिद करते थे, तो माथे पर बड़ा सा काला टीका लगाकर भेजा जाता था।
परिवार काफी बड़ा होने के कारण उनका बचपन ठाठ-बाट के साथ नहीं गुजरा। उन्हें फलों की टोकरियों को रोज मार्केट तक पहुंचाना पड़ता था।
इस कशमकश में उनकी स्कूली शिक्षा बार्नेस स्कूल, देयोलाली से हुई।
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पिता से अनबन
कहते है, 1930 में उनका परिवार पेशावर छोड़कर मुंबई को रहने को आ गया और 1940 में अपने पिता से किसी बात को लेकर इतने नाराज हुए कि 18 साल के उम्र में घर छोड़ने का निश्चय कर लिये और पुणे के लिये निकल पड़े।
पहला बिजनेस
वहाँ वे ईरानी केफे मालिक और बुजुर्ग एंग्लो-इंडियन कपल के सहायता से एक कैंटीन कांट्रैक्टर से मिले। अंग्रेजी भाषा की अच्छी जानकारी होने के कारण उससे कैंटीन कांट्रैक्ट लेने में सफल रहे।
वहीं आर्मी क्लब में उन्होंने एक सैन्विच स्टॉल खोल दिया, जो उनका खुदा का पहला बिजनेस था। कुछ सालों तक काम किए। जब कांट्रैक्ट खत्म हुआ तो 5000 कमाए रुपयों के साथ घर को चल पड़े।
फिल्मी दुनियाँ में एंट्री
कुछ समय तक घर पर रहे। फिर पिता को वित्तीय सहायता देने के लिये नई बिजनेस स्टार्ट करने की सोचने लगे। इस दौरान उनकी मुलाक़ात डॉ. मसानी से हुई। डॉ. मसानी ने उन्हें फिल्म प्रॉडक्शन कंपनी Bombay Talkies में साथ मिलकर काम करने का न्यौता दिया, जो उन्हें पसंद आया।
फिर वो बॉम्बे टॉकीज के मालकिन और एक्ट्रेस देविका रानी से मिले। वो उन्हें 1250 रुपये वार्षिक सेलरी पर रखने को तैयार हो गई।
काम के लिए नाम बदल लिये
शुरुआत में दिलीप कुमार स्टोरी राइटिंग और स्क्रिप्ट राइटिंग में मदद किया करते थे, क्योंकि वे उर्दू भाषा के अच्छा ज्ञाता थे। वे इन कामों को दो साल तक करते रहे। इस दौरान देविका रानी के कहने पर युसुफ से दिलीप कुमार बन गए। अब तक इस बारे में अपने परिवार को कुछ नहीं बताए।
Acting Debut
लगातार दो सालों तक फिल्म इंडस्ट्री में काम करने के कारण उनमें भी एक्टिंग का कीड़ा ने जन्म ले लिया था। ऊपर से कातिलाना लुक। इन कारणों से 1944 में उन्हें ज्वार भाटा फिल्म में लीड रोल के लिए कास्ट कर लिया गया।
फिल्म पूरी हुई और बॉक्स ऑफिस पर किसी कटी पतंग की तरह खो गई।
सफलता का दौर
दिलीप साहब ना ही फिल्मी परिवार से थे और ना ही एक्टिंग की कोई ट्रेनिंग ली थी। फिर भी उन्होंने एक्टिंग में जो समर्पण दिखाई कि 1947 में रिलीज हुई उनकी दूसरी फिल्म जुगनू सुपर-ड्यूपर हिट हुई।
बस इस सफलता के बाद भारतीय फिल्मी दुनियाँ में कभी फल बेचने वाले का राज छाने लगा। जिसकी सबूत उनके लगातार हिट होते फिल्मों से मिलता है, जो कतारबद्ध है… शहीद (1948) (इस फिल्म ने धर्मेंद्र की जिंदगी बदल दी थी), अंदाज (1949), जोगन (1950), हलचल (1951) देवदास (1955) आदि।
उन्होंने फिल्म के हर जोनर में अपने पक्के एक्टिंग का लौहा मनवाया। चाहे रोमांटिक फिल्म आन हो, या ड्रामा फिल्म देवदास या कॉमेडी फिल्म आजाद या ऐतिहासिक फिल्म मुगल-ए-आजम हो या सामाजिक फिल्म गंगा जमुना हो।
सम्मान
इस तरह उन्होंने अपने फिल्मी प्रतिभा के दम पर छह दशकों तक राज किए, जिसमें उन्होंने कई उतार-चढ़ाव भी देखें। पर कुल मिलकर उनकी स्थिति एक राजा की तरह रही। इस दौरान वे 9 फिल्मफेयर अवार्ड जीतने में सफल रहे, जिसमें 8 बेस्ट एक्टर अवार्ड है, जो किसी भी एक्टर और एक्ट्रेस से ज्यादा है। साथ ही भारत सरकार ने भी पद्म भूषण और पद्म विभूषण से नवाजा और राज्य सभा के लिए उन्हें मनोनीत किया। 1998 में पाकिस्तान सरकार ने सर्वोच्च सम्मान निशान ए इम्तियाज़ से नवाजा।
उनकी अंतिम फिल्म असार थी, जो 2001 में अजय देवगन के साथ आई।
Personal Life
इंसान और जानवर में खास अंतर इतना होता है कि जानवरों के बजाय इंसान प्यार को ज्यादा समझता है और उसकी ज्यादा कद्र करता है। दिलीप साहब भी प्यार की भाषा को अच्छी तरह से पढ़ लेते थे। इसलिए तो एक्टिंग कैरियर के शुरुआत में ही शादीशुदा एक्ट्रेस कामिनी कौशल से प्यार हुआ। जब ये प्यार छूटा तो उन्हें मधुबाला से प्यार हो गया। फिर मधुबाला के परिवार वालों ने विरोध किया। फिर वैजयंतीमाला के प्यार में डूब गए। पर यह प्यार भी किसी अफवाह की तरह हवा में उड़ गया।
सही कहते है, प्यार की कोई सीमा नहीं होती। चौथी बार उन्हें सायरा बानु से प्यार हुआ और 44 की उम्र में 22 साल की सायरा से विवाह के बंधन में बंध गये। पर अभी तक वे निसंतान है।
Quick Fact
Name – Dilip Kumar
Real Name – Muhammad Yusuf Khan
Date of Birth – 11 December 1922
Age-93 Years (2016)
Birth of Place – Peshawar, Pak
Height – 5’9”
Weight – 66 KG
Wife– Saira Banu
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