भारतीय फिल्मी जगत आजादी के साथ ही दुनियाँ पर अपना छाप छोड़ने में सफल रही है, जो की आज भी बरकरार है। इस फिल्मी दुनियाँ ने बेहतरीन से बेहतरीन एक्टर्स पाये, जिसे हमेशा याद रखा जाएगा। इन्हीं एक्टर्स में शुमार है, बॉलीवुड के He Man Dharmendra, जिनकी तुलना यदि जंगल के शेर से किया जाए तो अतिशयोक्ति ना होगा। जिस तरह शेर अपना भोजन अपने द्वारा किए गए शिकार से ही करता है। ठीक उसी प्रकार धर्म जी शेर से लड़ना, ऊंची बिल्डिंग से कूदना आदि जैसे सभी खतरनाक रोल्स जैसे खुद ही किया करते थे। इसी साहस और जोश के लिए हर युवा एक्टर उन्हें अपना प्रेरणाश्रोत मानता है।
आइये इस Hindi Biography से Dharmendra की साहसिक जीवन कहानी को जानते है…
अनुक्रम
Dharmendra Hindi Biography (Wiki)
Parents
Dharmendra का जन्म लुधियाना के नुसराली गाँव में हुआ था। उनके पिता केवल किशन सिंह देयोल एक सरकारी मैथ टीचर थे, जो साहेनवाल के गाँव के प्रारम्भिक स्कूल में पढ़ाया करते थे और उनकी माँ सतवन्त कौर थी।
Childhood & Education
उनका पूरा बचपन साहेनवाल गाँव में गुजरा। स्वभाव से शरारती Dharmendra की प्रारम्भिक पढ़ाई पिता के स्कूल से हुई, जहां अक्सर आजादी की दीवानी उनकी माँ उन्हें खाकी ड्रेस पहना कर, हाथ में तिरंगा थमाकर स्कूल भेज दिया करती थी। तब शाम को उनके पिता माँ से कहते थे,
क्यों तुम्हें मेरी नौकरी छुड़वानी है क्या ? (क्योंकि उस वक्त भारत ब्रिटिश शासन के जंजीरों में बंधा हुआ था।)
तब उनकी माँ कहती थी,
आपकी नौकरी जाए तो जाए, मैं तो अपने लड़के को हाथ में तिरंगा लिए यू ही भेजूँगी
समय के साथ उन्होंने भारत विभाजन के भीषण नरसंहार को देखा, जब वे एर्थ क्लास में थे। वे कहते है,
मेरे जीवन में इससे ज्यादा भीषण घटना कोई नहीं था। मैं फैमिली जैसे मुस्लिम पड़ोसियों को खोया।
वे आगे कहते है,
मैं बहुत छोटा था। पर देश में हो रहे घटनायों को अच्छी तरह से समझता था। मैंने देखा, मेरे दोस्त जवार, हनिफ और मेरे टीचर रुकुंदी जा रहे थे, मैंने भरे-बाजार में उनका हाथ पकड़कर कहा, क्यों जा रहे हो मास्टरजी।,
उन्होंने,
जाना तो पड़ेगा
इसी दर्द की एक ओर घटना को याद करते हुए कहते है,
बाबूजी रोज सुबह टहलने पर निकलते थे। उन्हें एक दिन एक घायल मुस्लिम लड़की मिली। वो उसे घर ले लाये। वो बाबूजी को अब्बा-अब्बा कहकर बुलाती थी। दूसरे दिन जब बाबूजी काफिले में उस लड़की को छोड़ने गए तो, देखा उस लड़की का पूरा परिवार रो रहा था। लड़की अपने परिवारवालों को देखकर बाबूजी से हाथ छुड़ाने लगी।
गुजरे समय ने इन जख्मों को भर दिया। अब आजाद भारत में जीवन बीतने लगा।
1949 की बात है, उनका कोई दोस्त सिनेमा देखकर आया था। वो धर्मेंद्र के सामने फिल्म की स्टोरी और हीरो की एक्शन बता रहा था। जिसे देखने के लिए वे बहुत उत्सुक हुए। पर उनके घर में फिल्म देखने की इजाजत ना थी।
तब उन्होंने पारिवारिक नियमों के खिलाफ चोरी-छिपे फिल्म देखने के लिए सिनेमाहॉल चले गए। उन्होंने वहाँ जो देखा, उसका ब्यौरा देते है,
मैंने देखा राम नाम का हीरो हाथ में तिरंगा लिए आजादी के गुनगुनाता जा रहा है। “वतन के राह पे वतन के जवान शहीद हो” पिक्चर खत्म होने के बाद मुझ पर उस किरदार को लेकर जुनून सा छा गया था। फिर लोगों ने बताया, वो हीरो दिलीप कुमार था।
अब वे इस जुनून को अपने दिल में संजोये जीने लगे। रातों को तारों संग बाते करते और अपने दिलीख्वाहिश शेयर करते। कुछ रातों के बाद यह जुनून कब उनका सपना बन गया। वे जान भी नहीं पाये।
सपनों के झरोखों के बीच उन्होंने फगवारा स्थित रमगढ़िया कॉलेज से इंटरमिडिएट पास किया।
वे अपने पिता से सपने को शेयर नहीं कर सकते थे। इसलिए उन्होंने अपनी माँ से कह डाली। माँ ने कहा,
इसके लिए अर्जी क्यों नहीं दे देता है ?
Bollywood Debut
शायद मौका भी उनका इंतजार कर रहा था। उसी वक्त 1960 में फिल्मफेयर ने New Talent Hunt प्रोग्राम लॉंच किया। जिसकी अर्जी देकर मुंबई आ गए और इस प्रोग्राम को जीतने में कामयाब रहे।
और उन्हें 1961 में दिल भी तेरा हम भी तेरे फिल्म से बॉलीवुड में डेब्यु करने का मौका मिला। इस फिल्म से उन्हें कमाई के रूप में पाँच हजार रुपये मिले थे। जिसकी खुशी में उन्होंने दोस्तों के साथ दारू पार्टी की थी।
Romantic And Action Hero
शुरुआत में उन्हें रोमांटिक हीरों के कई रोल्स मिले। उन्होंने सभी मौको को भुनाते हुए नूतन के साथ सूरत और सीरत, बंदिनी, दिल ने फिर याद किया, दुल्हन एक रात की, माला सिन्हा के साथ अनपढ़, पुजा के फूल, बहारें फिर भी आएँगी, नन्दा के साथ आकाशदीप, सायरा बानु के साथ शादी, आए मिलन की बेला, मीना कुमारी के साथ मैं भी लड़की हूँ, काजल, पुर्णिमा और फूल और पत्थर किया।
जिससे उनकी छबि एक रोमांटिक हीरो की बन चुकी थी। इसी छबि के रूप में उनकी फिल्म फूल और पत्थर सुपरहिट हुई, जिसके कारण उन्हें बेस्ट एक्टर के लिए फिल्मफेयर नॉमिनेशन मिला।
Comedy Hero
1975 में उन्होंने पहली बार कॉमिक फिल्म की। इस कड़ी में उनकी फिल्म रही, तुम हसीन मैं जवान, दो चोर, चुपके चुपके, दिल्लगी, नौकर बीवी का। जिसमें उनके काम को काफी सराहा गया।
सबसे बेहतरीन जोड़ी
इसी दशक उन्हें हेमा मालिनी के साथ काम करने का मौका मिला। फिर यह जोड़ी ऐसी जमी कि उन्होंने साथ-साथ दहाई फिल्में कर डाली। जिसमें प्रमुख थी-राजा जानी, ड्रीम गर्ल, सीता और गीता, शराफत, नया जमाना, आजाद और शोले। इस जोड़ी को बॉलीवुड का अबतक का बेहतरीन जोड़ी माना गया।
धर्मेंद्र एक गैर फिल्मी बैकग्राउंड परिवार से आए थे। फिर वे किसी स्टार एक्टर की तरह रोमांटिक, एक्शन, कॉमेडी के साथ डबल और ट्रिपल रोल में भी छा गए। उनकी डबल रोल वाली फिल्म यकीन, समाधि, गज़ब और ट्रिपल रोल वाली फिल्म जियो शान से थी।
Filmfare सम्मान
1997 में उन्होंने अपने प्रेरणाश्रोत दिलीप कुमार और सायरा बानु के हाथों Filmfare Lifetime Achievement Award मिला। इसी अवसर पर दिलीप कुमार उनके खूबसूरती में कहते है,
जब मैं खुदा से मिलुंगा तो शिकायत करूंगा कि उसने मुझे तुम जैसा खूबसूरत क्यों नहीं बनाया ?
उनके प्रशंशकों को यह बात हजम नहीं होती कि सैकड़ों फिल्में करने बावजूद भी उन्हें Fimfare Best Actor Award नहीं मिला, जबकि वे कई मौके पर जोखिम वाले रोल्स जैसे चीता से लड़ना आदि को खुद ही कर लिया करते थे।
फिर भी वे कभी भी इस बारे में किसी से शिकायत नहीं की।
बेटों की लॉंचिंग
1983 में उन्होंने अपने बड़े बेटे अजय सिंह देयोल यानि सन्नी देयोल, 1995 में छोटे बेटे विजय सिंह देयोल यानि बॉबी देयोल और 2005 में अभय देयोल को लॉंच किया।
अब फिल्में करना कम कर दिये। इस दौरान उनकी फिल्में आई – Life in a Metro, Apne, Yamla Pagla Deewana, Yamala Pagla Deewan 2, जो सक्सेसफूल रही। बाद के तीनों फिल्मों में पहली बार तीनों बाप-बेटों ने एक साथ काम किया, जो बॉलीवुड के इतिहास पहली हो रहा था। जिसे दर्शकों खूब पसंद किया।
हिन्दी फिल्मों के साथ उन्होंने पंजाबी फिल्मों में भी काम किया। जिसमें उनकी प्रमुख फिल्में रही – दो शेर, पुत्त जट्टन दे और कुर्बानी जट्ट दी।
राष्ट्रीय सम्मान
2012 में उनके फिल्मी योगदान के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
Television and Political Career
Dharmendra भारत के पोपुलर रियालिटी शो India’s Got Talent में जज की भूमिका निभा चुके है। इसके अलावा बीजेपी के टिकट पर राजस्थान के बीकानेर से लोकसभा सीट जीतकर अपनी पॉलिटिकल पारी भी खेल चुके है। पर उन्हें रास नहीं आया और अब वे इससे दूरियाँ बना चुके है।
Producer
1983 में Dharmendra ने Vijayta Films के नाम से एक प्रॉडक्शन कंपनी की शुरुआत की। जिससे उन्होंने बेताब, घायल और बरसात जैसे ब्लॉकबास्टर फिल्मों का निर्माण की।
Personal Life
फिल्मों में अपने जिंदा-दिली के रूप में जीने वाले Dharmendra स्वभाव से काफी इमोश्नल और शरमीले है। उनकी शादी 19 साल की उम्र ही 1954 को प्रकाश कौर के साथ हो गया था। जिससे वे सन्नी, बॉबी, विजीता और अजीता के पिता बने।
जब वे 70 की दशक में अपनी फिल्मी कैरियर के शबाब पर थे तो तब उन्हें अपने को-स्टार हेमा मालिनी से प्यार हो गया। जिससे वो शादी कर लिए, जबकि उन्होंने अपने पहली पत्नी को तलाक भी नहीं दिया।
इस विवाह से वे ईशा और अहाना देयोल के पिता बने।
Quick Fact
Bio Data
Name – Dharmendra
Full Name – Dharmendra singh Deol
Date of birth – 8 December 1935
Age – 80 Years (2016)
Birth of place– Nasrali, Punjab
Height – 5’10”
Weight – 78 KG
Family
Father – Kewal Kishan Singh Deol
Mother – Satwant Kaur
First Wife – Prakash Kaur
Second Wife – Hema Malini
Sons – Sunny Deol, Bobby Deol,
Daughters – Vijayata Deol, Ajeeta Deol, Esha Deol, Ahana Deol
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