बसंत पंचमी भारत का वह त्यौहार है, जिसे केवल वास्तव में लोग ही नहीं बल्कि पूरा धरती भी मनाता है, क्योंकि पूरा धरती और मौसम के मुकबाले इस दिन सबसे सुहावना और हरभरा होता है।
जिसके कारण इन दिनों ज्ञानर्जन सबसे सरल होता है और स्टूडेंट भी बेहद धूम धाम से इसे मनाते है। वही स्कूलों से सभी class 1,2,3,4,5,6,7,8,9,10 के students को इस विषय पर essay लिखने का होमवर्क मिलता है। जिसके लिए हम चार निबंध पेश कर रहे है।
अनुक्रम
Basant Panchami Essay in Hindi
Short Essay on Basant Panchami
भारत त्यौहारों का देश है, जहां दिवाली, होली, ईद जैसे बड़े त्यौहार के अलावा हर महीने कुछ ना कुछ बड़े-छोटे फेस्टिवल मनाए जाते है। जिसमें बसंत पंचमी बेहद ही महत्वपूर्ण पर्व है, जिसमें में विद्या की देवी माँ सरस्वती देवी की पुजा-अर्चना किया जाता है।
माघ मास की शुक्ल पक्ष को मनाए जाने वाला यह त्यौहार सर्दी ऋतु की समाप्ति और ऋतुराज बसंत ऋतु के आगमन का सूचक है। इस दिन गुलाब, गेंदा, मोहरा जैसे भांति-भांति के फूल-पौधे खिल जाते है। खासकर सूर्यमुखी का पौधा अपने देव सूर्य की तरह मुंह कर अपनी असीम प्रेम को दर्शाता है।
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खैर इस पर्व को सभी भारतवासी अपने घरों में धूमधाम से मनाते है, लेकिन यह पर्व स्टूडेंट्स का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है। जिसके कारण इस दिन सभी स्कूलों में माँ सरस्वती की सभी वंदना करते है, प्रसाद बांटते है और विद्या गृहण का आशीर्वाद लेते है। इस तरह पूरा दिन बड़े मनोरम तरीके से गुजरता है।
Saraswati Puja Essay in Hindi
बसंत ऋतु का नाम आते है ही दिमाग में सुंदर-सुंदर खिले पीले फूलों से सुसज्जित और हरी-भरी धरती का चित्र उभरता है, जो मन ही नहीं तन को भी प्रसन्न करता है। वास्तव में यह मौसम नए काम-संवर्धन के लिए सबसे अनुकूलित है।
इसलिए इन दिनों स्टूडेंट्स सबसे ज्यादा पढ़ाई पर ध्यान देते है। चूँकि इन दिनों फाइनल परीक्षा होने के लिए बहुत कम समय बचता है। लेकिन इस मौसम को जो सबसे ज्यादा उत्साहित और समृद्धिशील बनाता है, वह है सरस्वती पुजा।
इस दिन स्कूलों में अलग ही माहौल होता है। सभी स्टूडेंट्स साफ-सुथरे कपड़ों में अपने-अपने विद्यालय को जाते है। स्कूल के परागण में सरस्वती देवी की मूर्ति स्थापित करते है। इस दौरान बाकी स्टूडेंट्स उस परागण को फूलों, मालायों और झालरों से सज्जाते है।
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इसके बाद परंपरागत के तौर पर माँ विद्या देवी को भोग लगाया जाता है और अगरबत्ती जलाया जाता है। तब उनकी वंदना की जाती है। अंत में पीतल की थाली पर कपूर जलाकर उनकी आरती की जाती है। इस तरह पुजा सम्पन्न होता है। सभी में प्रसाद बाँट दिया जाता है और सभी विद्या के लिए आशीर्वाद लेते है।
Saraswati Puja Essay For Student
जिस तरह दुनिया के हर देश का अपनी संकृति और परंपरा है। उसी तरह उस देश के वासी अपने फेस्टिवल मनाते है। पर यही बात भारत के लिए आती है तो यहाँ हर दिन कुछ ना कुछ पर्व होता है और वही हर महीने में एक बड़ा होता है, जिसे जनवरी में मकर संक्रांति, 26 जनवरी, बसंत पंचमी, फरवरी में वेलेंटाइन डे, मार्च में होली, अगस्त में रक्षाबंधन, अक्टूबर में दिवाली मनाया जाता है।
लेकिन जनवरी या फरवरी में पड़ने वाले बसंत पंचमी की बात ही अलग है। इस दिन से ऋतुराज बसंत ऋतु की शुरुआत होती है, जिसमें पूरा धरती नए-नए फूलों से पीलामय हो जाती है, जिसपर रंग-बिरंगी तितलियों और मधुमक्खियों के बीच रसवादन के लिए अनोखा प्रतिस्पर्धा देखने को मिलती है।
वही पूरे साल में इस मौसम में आसमान साफ होता है, क्योंकि इन्द्रदेव खुश होकर प्यार भरे की हल्की-हल्की बूंदों की बरसात कर देते है। जिसके कारण मन और तन बेहद प्रफुल्लित और स्फूर्तिवेश हो जाता है, जो विद्या ग्रहण के लिए सबसे अनुकूल होता है।
ऐसे में विद्या देने वाली माता सरस्वती की पूजा की जाती है। इस दिन व्रती पीले-पीले वस्त्रों को धारण करने के साथ पीले भोजन को भी ग्रहण करते है। इससे पहले माँ सरस्वती की मूर्ति को घर के पवित्र स्थान पर प्रतिस्थापित करते है।
सुसज्जित करके भोग लगाया जाता है। फिर माँ की आरती और वंदना की जाती है। आशीर्वाद लेकर सभी में प्रसाद को बाँट दिया जाता है। इस तरह वह पूरा दिन ही भक्तिमय बीतता है।
Basant Panchami Essay For All
प्रस्तावना
भारत दुनियाभर में अनेकतायों में एकता के लिए जाना जाता है। वही भारत अपने फेस्टिवल के लिए भी बहुत प्रसिद्ध है, क्योंकि यहाँ कई धर्मों के लोग रहते है, जिसके कारण हर महीने में कोई बड़ा ना बड़ा त्यौहार मनाया जाता है।
जिसके कारण जनवरी से दिसंबर तक त्यौहार का मौसम छाया रहता है। जिसमें एक मौसम बेहद खास है, वह है दो महीनों वाला बसंत ऋतु, जिसमें सरस्वती पुजा मनाया जाता है। लेकिन यह अपने-आप में ही पर्व जैसा लगता है। खैर बसंत पंचमी इस मौसम से होने वाले हर्षोल्लास को चार-चाँद लगा देता है।
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बसंत पंचमी कब मनाया जाता है
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार यह पर्व माघ शुक्ल पंचमी को मनाया जाता है, जो अङ्ग्रेज़ी के जनवरी या फरवरी महीने में पड़ता है। इस दिन धरती हर-भर पीले फूलों से पीलामय और कोयल की मधुर वाणी से आसमान गुंजायमान हो उठती है, जो इस पर्व को शोभान्वित करती है।
बसंत पंचमी क्यों मनाया जाता है
पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन विद्या की देवी सरस्वती माता का जन्म हुआ था, जिससे दुनिया में समृद्धशाली विद्या के सूरज का उदय हुआ था।
वही इस मौसम के आने तक कई फसलें जैसे चना और सरसों आदि तैयार हो जाती है, जिसकी खुशी इस पर्व के रूप में मनाया जाता है।
बसंत पंचमी कैसे मनाया जाता है
इस पर्व को मनाने कि प्रक्रिया बेहद सरल है और ना ही सख्त नियम है। साधारणत: इस दिन उपवासक स्नान आदि करके पीले वस्त्र धारण करते है। माँ विद्या देवी की मूर्ति को पवित्र स्थान पर प्रस्थिपाती करते है। उसके बाद नियमित पुजा की तरह पुजा किया जाता है। उनको भोग लगाया जाता है। आरती गई जाती है। फिर अंत में प्रसाद को बांटा जाता है।
कुछ इसी तरह स्कूलों में भी स्टूडेंट्स इस पर्व को धूम-धाम से मनाते है।
उपसंहार
ऋतुराज बसंत में आने वाला यह पर्व सभी के जीवन में ज्ञान की दीप जलाता है, जिसके यह पर्व सभी के लिए खास है। खासतौर पर यह स्टूडेंट के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, इसलिए वे अनिवार्य रुप माँ सरस्वती की पुजा-अर्चना करते है और अपने जीवन उनकी कृपा बने रहने की प्रार्थना करते है।
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